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सरकारी बैंकों की हालत क्यों है पतली, सामने आई ये बड़ी रिपोर्ट

एस एंड पी ग्लोबल ने कहा, हम अनुमान लगा रहे हैं कि 31 मार्च, 2024 तक बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर ऋण सकल ऋण के 4.5 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक गिर जाएंगे।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: November 19, 2022 13:38 IST
State Bank of India - India TV Paisa
Photo:FILE State Bank of India

देश के सरकारी बैंक मुनाफा कमाने के बाद भी लगातार पिछड़ रहे हैं। कुछ एक सरकारी बैंकों को छोड़ दें तो सभी की हालत एक जैसी है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और प्रमुख निजी बैंकों ने अपनी संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों का समाधान किया है, लेकिन अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स की यह रिपोर्ट वैश्विक बैंकिंग परिदृश्य पर आई है। 

रिपोर्ट के अनुसार कई बड़े पीएसबी अभी भी कमजोर संपत्ति, उच्च ऋण लागत और निम्न कमाई से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में भारतीय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के बारे में कहा गया है, हम वित्त कंपनियों (फिनकोस) के लिए मिक्स्ड-बैग परफॉमेंस की उम्मीद करते हैं। इन फिनकोस की संपत्ति की गुणवत्ता अक्सर प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कमजोर होती है।

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मजबूत रहनी चाहिए।

एस एंड पी ग्लोबल ने कहा, हम अनुमान लगा रहे हैं कि 31 मार्च, 2024 तक बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर ऋण सकल ऋण के 4.5 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक गिर जाएंगे। इसी तरह, हम वित्त वर्ष 2023 के लिए ऋण लागत के 1.2 प्रतिशत के सामान्य होने और अगले कुछ वर्षों के लिए लगभग 1.1 प्रतिशत से 1.2 प्रतिशत पर स्थिर होने का अनुमान लगाते हैं। यह ऋण लागत को अन्य उभरते बाजारों और भारत के 15 साल के औसत के बराबर बनाता है।

एस एंड पी ग्लोबल को उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में भारत में ऋण वृद्धि कुछ हद तक सांकेतिक सकल घरेलू उत्पाद अनुरूप बनी रहेगी, और खुदरा क्षेत्र में ऋण वृद्धि कॉपोर्रेट क्षेत्र से अधिक रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉपोर्रेट उधारी भी गति पकड़ रही है, लेकिन अनिश्चित वातावरण पूंजीगत व्यय से संबंधित विकास में देरी कर सकता है।

एसएंडपी ग्लोबल ने कहा, कैपिटल मार्केट फंडिंग से बैंक फंडिंग में बदलाव भी कॉरपोरेट लोन ग्रोथ में तेजी ला रहा है। डिपॉजिट को रफ्तार बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, जिससे क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात कमजोर हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सालों में क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात में सुधार हुआ है।

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