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पड़ोसी देशों से आए FDI प्रस्तावों पर फूंक-फूंक कर कदम, सरकार ने इस कारण 50% प्रपोजल को रद्द किया

कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए ऐसा किया गया। इस फैसले के अनुसार किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए पड़ोसी देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर पहले सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 03, 2023 16:55 IST, Updated : Dec 03, 2023 16:55 IST
FDI
Photo:FILE एफडीआई

केंद्र सरकार भारत के सटे पड़ोसी देशों से आए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्ताव पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार, सरकार को भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से अप्रैल, 2020 से अब तक लगभग एक लाख करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्ताव मिले हैं। हालांकि, इनमें से करीब आधे प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। बाकी निवेश प्रस्ताव या तो लंबित हैं या उन्हें वापस ले लिया गया है या अस्वीकार कर दिया गया है। यानी 50% प्रपोजल को रोक दिया गया या रद्द कर दिया गया। भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देश चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान हैं। सरकार ने अप्रैल, 2020 में भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश के लिए पूर्व-मंजूरी को अनिवार्य कर दिया था। 

इस कारण सभी प्रपोजल को नहीं मिली मंजूरी

कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए ऐसा किया गया। इस फैसले के अनुसार किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए पड़ोसी देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर पहले सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी है। एक सरकारी अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ''इस फैसले के बाद लगभग एक लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए हैं जिनमें से 50 प्रतिशत को मंजूरी दे दी गई है। बाकी या तो लंबित हैं या वापस ले लिए गए हैं या खारिज कर दिए गए हैं।'' उन्होंने आगे कहा, ''इस तरह इन देशों से एफडीआई आना पूरी तरह बंद नहीं है। 

सरकार ने जांच के लिए समिति का गठन किया 

हम आवेदनों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि ये प्रस्ताव हमारी विनिर्माण क्षमताओं में मूल्य जोड़ रहे हैं या नहीं।'' इन पड़ोसी देशों से आए निवेश प्रस्ताव सुरक्षा एजेंसियों और कुछ मंत्रालयों के पास लंबित हैं। अधिकारी ने बताया कि जिन प्रस्तावों को वापस ले लिया गया है, उनकी संख्या बहुत बड़ी है। इन प्रस्तावों की जांच के लिए सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है। इनमें से अधिकतर आवेदन चीन से आये थे। इसके अलावा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश ने भी कुछ आवेदन जमा किये थे। 

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