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सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से कहा- खुदरा मूल्य में न करें बढ़ोतरी, वजह भी बताई

केंद्र ने बीते सप्ताह घरेलू तिलहन कीमतों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में वृद्धि की थी। 14 सितंबर से प्रभावी मूल सीमा शुल्क में वृद्धि, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: September 18, 2024 6:48 IST
भारत खाद्य तेलों की अपनी जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है। - India TV Paisa
Photo:FREEPIK भारत खाद्य तेलों की अपनी जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है।

आम आदमी को राहत देने के मकसद से सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से कहा है कि वे आयात शुल्क में हाल ही में की गई वृद्धि के बाद खुदरा मूल्य न बढ़ाएं। सरकार ने इसके पीछे कम शुल्क पर भेजे गए खाद्य तेलों का पर्याप्त स्टॉक का उपलब्ध होना बताया है। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि कम शुल्क पर आयातित स्टॉक आसानी से 45-50 दिनों तक चलेगा और इसलिए प्रोसेसिंग कंपनियों को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) बढ़ाने से बचना चाहिए। भाषा की खबर के मुताबिक, पिछले सप्ताह, केंद्र ने घरेलू तिलहन कीमतों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में वृद्धि की थी।

कितनी की थी बढ़ोतरी

14 सितंबर से प्रभावी मूल सीमा शुल्क में वृद्धि, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क 27.5 प्रतिशत हो गया है। इसके अतिरिक्त, रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर मूल सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत हो गया है।

मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा के लिए हुई मीटिंग

बीते मंगलवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एसओपीए) के प्रतिनिधियों के साथ मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि प्रमुख खाद्य तेल संघों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि शून्य प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर आयातित खाद्य तेल स्टॉक की उपलब्धता रहने तक हर तेल का एमआरपी बरकरार रखा जाए और अपने सदस्यों के साथ इस मुद्दे को तुरंत उठाया जाए।

आयातित खाद्य तेलों का करीब 30 लाख टन स्टॉक

केंद्र सरकार को यह भी पता है कि कम शुल्क पर आयातित खाद्य तेलों का करीब 30 लाख टन स्टॉक है जो 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है। भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है। आयात पर निर्भरता कुल आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत से अधिक है। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला घरेलू तिलहन किसानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है। खासतौर पर अक्टूबर 2024 से बाजारों में आने वाली सोयाबीन और मूंगफली की नई फसलों के कारण यह कदम उठाया गया है।

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