दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी इस समय चर्चा में है। इंटरनेट पर Google Layoff कीवर्ड ट्रेंड कर रहा है। गूगल ने सबसे बड़ी छंटनी करते हुए अपने 6 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इसमें सबसे ज्यादा कर्मचारी अमेरिका में है। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, मेटा और ट्विटर जैसी कई कंपनियां बीते 3 महीनों में भारी छंटनी करते हुए एंप्लॉयीज को बाहर कर रही हैं।
लेकिन अमेरिकी कंपनियों की इस छंटनी का सबसे बुरा असर वहां काम करने वाले भारतीय लोगों पर पड़ रहा है। छंटनी में शामिल होने वाले अधिकतर कर्मचारी भारतीय हैं, जिनके सामने अब देश यानि अमेरिका छोड़ने का खतरा मंडराने लगा है। नौकरी जाने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आईटी इंडस्ट्री में 60 दिनों के भीतर ही नई नौकरी खोजने की है। यहद वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अमेरिका से वापस आना होगा।
अमेरिकी वीजा होगा कैंसिल
कुणाल के मुताबिक H-1B वीजा के नियमों के मुताबिक उनके पास सिर्फ 60 दिन ही हैं नई नौकरी खोजने के लिए और अगर इतने दिनों में उन्हें नौकरी नहीं मिलती है तो उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ेगा। लेकिन जिस तरह का माहौल इस समय अमेरिका के साइबर जगत में बन रहा है, ऐसे में उन्हें नया जॉब पाना भी आसान नहीं होगा।
अल्फाबेट ने की है छंटनी की घोषणा
गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट दुनिया भर में 12 हजार एंप्लॉयीज की छंटनी कर रही है जो इसके कुल वर्कफोर्स का करीब 6 फीसदी है। अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने छंटनी से जुड़े फैसले की पूरी जिम्मेदारी ली है। वहीं अल्फाबेट के वर्कर्स यूनियन ने छंटनी के फैसले की आलोचना की है। यूनियन का कहना है कि कंपनी की लीडरशिप फुल रिस्पांबिलिटी ले तो रही है लेकिन जो 12 हजार कर्मचारी अब बिना काम के हैं, उससे उन्हें थोड़ा भी आराम नहीं है।
गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट दुनिया भर में 12 हजार एंप्लॉयीज की छंटनी कर रही है जो इसके कुल वर्कफोर्स का करीब 6 फीसदी है। वहीं मेटा, अमेजन जैसी अन्य कंपनियां भी छंटनी कर रही हैं। इससे वहां बसे भारतीयों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।