Good News: भारत में महंगाई की मार झेल रही आम जनता को आज दो खबरों ने बड़ी राहत दी है। भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आज मजबूत हुआ है। शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बंपर खरीदारी के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 29 पैसे की तेजी के साथ 79.45 के भाव पर बंद हुआ। वहीं कच्चे तेल की कीमतों में इस साल की शुरुआत से आया उफान भी थमने लगा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 92 डॉलर तक आ गया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में महंगाई से कुछ राहत जरूर मिल सकती है।
क्यों मजबूत हो रहा है रुपया
जून और जुलाई के महीनों में रुपये ने लगातार गिरावट देखी है। इसका मुख्य कारण अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के बाद भारत से विदेशी निवेशकों का महाप्रवास रहा है। लेकिन अब माहौल बदलने से विदेशी निवेशकों की वापसी हो रही है। घरेलू शेयरों में भारी लिवाली तथा विदेशी पूंजी का सतत निवेश जारी रहने के कारण रुपया भी मजबूत हो रहा है। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने मंगलवार को शुद्ध रूप से 1,376.84 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
कच्चे तेल की नरमी से भी रुपया मजबूत
बाजार सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट तथा मुद्रास्फीतिक दबाव के कम होने से भी रुपये को समर्थन मिला। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.32 के स्तर पर मजबूत खुला। कारोबार के दौरान रुपया 79.26 के उच्चस्तर और 79.48 के निचले स्तर तक गया। अंत में यह 29 पैसे की तेजी के साथ 79.45 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 79.74 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था। इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 प्रतिशत चढ़ गया।
कच्चा तेल हुआ सस्ता
अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर दूसरी अच्छी खबर कच्चे तेल को लेकर थी। इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम में गिरावट आई है। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.06 प्रतिशत घटकर 92.28 डॉलर प्रति बैरल रह गया। यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चा तेल मार्च में 140 डॉलर के स्तर तक पहुंच चुका था। हालांकि रूस के सस्ते तेल से भारत ने घाटे को कुछ कम करने की कोशिश जरूर की थी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और विदेशी कोषों का निवेश बढ़ने के बाद भारतीय रुपये को पर्याप्त समर्थन मिला है। हालांकि, कारोबारी एफओएमसी बैठक का ब्योरा सामने आने से पहले सतर्क हैं और आने वाले दिनों में कॉरपोरेट द्वारा डॉलर की बाजार से निकासी किये जाने की उम्मीद है जो रुपये में तेजी को सीमित कर सकता है।’’