Monday, December 30, 2024
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इंडियन इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर, डेलॉयट का अनुमान, FY25 में 6.5 से 6.8% की दर से बढ़ेगी भारतीय GDP

आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) में सचिव अजय सेठ ने सोमवार को कहा कि दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि अनुमान से कम है लेकिन दूसरी छमाही बेहतर रहने का भरोसा है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 29, 2024 13:27 IST, Updated : Dec 29, 2024 13:27 IST
GDP
Photo:FILE जीडीपी

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर आई है। मजबूत घरेलू मांग से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लौटेगी और चालू वित्त वर्ष में भारतीय जीडीपी 6.5 से 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। वहीं, अगले वित्त वर्ष (2025-26) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर कुछ अधिक यानी 6.7 से 7.3 प्रतिशत के बीच रहेगी। डेलॉयट इंडिया ने यह अनुमान लगाया है। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में वृद्धि दर अनुमान से कम रही है क्योंकि चुनाव को लेकर अनिश्चितताओं के बाद भारी बारिश और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से घरेलू मांग और निर्यात प्रभावित हुआ था। उन्होंने कहा, हालांकि, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत काफी जुझारू क्षमता दिखा रहा है। इनमें उपभोग का रुख या सेवाओं की वृद्धि, निर्यात में उच्च मूल्य वाले विनिर्माण की बढ़ती हिस्सेदारी और पूंजी बाजार शामिल हैं। 

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर सरकार का जोर 

डेलॉयट ने कहा कि सरकार द्वारा लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, डिजिटलीकरण पर ध्यान देने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के उपायों से कुल दक्षता में सुधार होगा जिससे वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। मजूमदार ने कहा कि हम सतर्क के साथ आशावादी बने हुए हैं और उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.5 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहेगी। अगले वित्त वर्ष में यह 6.7 से 7.3 प्रतिशत के बीच रहेगी। इस महीने की शुरुआत में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के अपने वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया था। जून में आरबीआई ने वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

इस कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में 

डेलॉयट ने कहा कि उच्च मूल्य वाले खंडों मसलन इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और रसायन जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण निर्यात वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की बढ़ती मजबूत स्थिति को दर्शाता है। इस बीच, खुदरा और घरेलू संस्थागत निवेशकों की बढ़ती भागीदारी की वजह से स्थानीय पूंजी बाजारों में स्थिरता देखने को मिली है। हालांकि, पिछले ढाई महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में जबर्दस्त बिकवाली की है। आपको बता दें कि मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के चलते चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर लगभग दो साल के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी। हालांकि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। एक साल पहले की समान अवधि में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। वहीं अप्रैल-जून, 2024 की तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत थी।

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