स्पाइसजेट को वित्तीय संकट से निकालेन के लिए कंपनी के प्रवर्तक और चेयरमैन अजय सिंह एयरलाइन में 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी बेच सकते हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह दौर सितंबर के अंत तक पूरा होने का अनुमान है। किफायती एयरलाइन वित्तीय चुनौतियों, कानूनी लड़ाइयों और विमानों को ठप करने सहित कई समस्याओं से जूझ रही है। कंपनी धन जुटाने की कोशिश कर रही है, जिससे उसे विभिन्न दायित्वों को पूरा करने में मदद मिलेगी। एक सूत्र ने बताया कि यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो सिंह एयरलाइन में 15 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेच सकते हैं। एक अन्य सूत्र ने बताया कि चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अजय सिंह एयरलाइन में करीब 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेंगे और यह राशि बढ़ भी सकती है।
कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई
मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित क्यूआईपी (योग्य संस्थागत नियोजन) के लिए पहले से ही 2,000 करोड़ रुपये तक की प्रतिबद्धता है और एयरलाइन संभावित निवेशकों के साथ चर्चा कर रही है। भारत और विदेशों में निवेशकों के साथ बैठकें हो चुकी हैं। स्पाइसजेट की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। सितंबर के अंत तक वित्तपोषण चरण पूरा होने की उम्मीद है। बीएसई पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जून 2024 के अंत में प्रवर्तक समूह के पास एयरलाइन में 47 प्रतिशत से थोड़ी अधिक हिस्सेदारी थी। स्पाइसजेट के पास 2019 में 74 विमानों का बेड़ा था। कंपनी फिलहाल लगभग 20 विमानों का संचालन कर रही है।
क्यूआईपी से भी फंड जुटाने की कोशिश
एयरलाइन ने शुक्रवार को एक प्रस्तुति में कहा कि वह क्यूआईपी, वारंट और प्रवर्तक द्वारा पूंजी निवेश के माध्यम से 3,200 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। इस कोष का उपयोग परिचालन में बंद पड़े बेड़े को वापस लेने, देनदारी निपटान, नए बेड़े को शामिल करने और अन्य सामान्य उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। एयरलाइन ने निवेशकों के समक्ष एक प्रस्तुति में कहा, "स्पाइसजेट ने क्यूआईपी के माध्यम से 2,500 करोड़ रुपये और पिछले वारंट और प्रवर्तक निवेश के माध्यम से 736 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है।"