Indian Economy: वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2022-23 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं आने वाले समय में खुदरा महंगाई थोक महंगाई के अनुरूप नरम होगी। वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में यह अनुमान लगाया गया है। इसमें यह भी कहा गया कि उच्च सेवा निर्यात से हुए लाभ, तेल कीमतों में नरमी और आयात गहन खपत मांग में हाल में आई कमी के साथ देश का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में घटने का अनुमान है। इससे अनिश्चितता के दौर में रुपये को समर्थन मिलेगा। इसमें कहा गया है कि यह ऐसे समय देश के बाह्य क्षेत्र के मोर्चे पर बहुप्रतीक्षित राहत देगा, जब अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व नीतिगत दर में और वृद्धि कर सकता है। शुद्ध रूप से सेवा निर्यात में पिछले साल के मुकाबले उछाल महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी और दूसरे सेवा क्षेत्रों में बाजार हिस्सेदारी बढ़ायी है।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में सामने आई जानकारी
वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम में नरमी से आयात भी कुछ सस्ता हुआ है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, प्रबंधन योग्य चालू खाते का घाटा तथा बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ऊंची वृद्धि दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था ने महामारी और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव से उत्पन्न संकट से निपटने को लेकर एक नई मजबूती दिखायी है। वृहत आर्थिक स्थिरता वित्त वर्ष 2022-23 में और मजबूत होगी। इसका कारण साल की शुरुआत में अनुमान के मुकाबले चालू खाते का घाटा कम होने की उम्मीद है। आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 की तीसरी तिमाही के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान भारतीय अर्थव्यवस्था की घरेलू मांग के दम पर आगे बढ़ने की क्षमता की पुष्टि करता है। हालांकि, दूसरी तरफ वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बढ़ने से वैश्विक उत्पादन धीमा हुआ है। देश की आर्थिक वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर, 2022 तिमाही में 4.4 प्रतिशत रही। तीसरी तिमाही में वृद्धि को जो गति मिली है, वह चौथी तिमाही में बने रहने की उम्मीद है।
जीएसटी कलेक्शन से मिली अपडेट
यह जनवरी और फरवरी के महत्वपूर्ण आंकड़ों (जीएसटी संग्रह, बिजली खपत, पीएमआई आदि) से पता चलता है। जीएसटी संग्रह फरवरी 2023 में लगातार 12वें महीने 1.4 लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहा। रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों के दाम में गिरावट और सरकार के उपायों से महंगाई दबाव कम हुआ है। महंगाई दबाव फरवरी में कम हुआ। जहां खुदरा महंगाई में हल्की नरमी आई, वहीं थोक महंगाई दर नरम होकर 25 महीने के निचले स्तर पर आ गयी। थोक महंगाई 25 महीने के निचले स्तर पर आ गयी है, इसका सकारात्मक असर खुदरा महंगाई पर देखने को मिलेगा। उल्लेखनीय है कि खुदरा महंगाई फरवरी में घटकर 6.44 प्रतिशत पर आ गयी जो जनवरी में 6.52 प्रतिशत थी। वहीं थोक महंगाई दर घटकर 3.85 प्रतिशत पर आ गयी, जो जनवरी में 4.73 प्रतिशत थी।