भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से बैंकों के लिए अच्छी खबर आई है। आने वाले समय में बैंकों को ऋण में नुकसान (क्रेडिट लॉस) का अपना अलग मॉडल बनाने की मंजूरी मिल सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से भेजे गए एक प्रस्ताव के अनुसार, बैंक ऋण देने वाले धन को अलग रखने की नई प्रणाली के तहत पांच साल तक उच्च प्रावधानों को विस्तार दे सकेंगे। आरबीआई ने सोमवार को सार्वजनिक किए गए एक दस्तावेज में कहा कि वह ऋण जोखिम का मॉडल तैयार करने से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा जिन पर बैंकों को विचार करना होगा।
बैंकों को तैयार करना होगा अपना मॉडल
इसके मुताबिक, बैंकों को प्रस्तावित सिद्धांतों के अनुरूप अनुमानित हानि प्रावधानों के उद्देश्य के लिए अपेक्षित ऋण हानि को मापने के लिए अपने मॉडल तैयार कर सकेंगे और उन्हें लागू कर सकेंगे। वर्तमान में बैंक ऋण के प्रावधानों में नुकसान वाले मॉडल का उपयोग करते हैं जिनमें बैंकों को धन बहुत बाद में अलग रखने की जरूरत होती है। पिछले साल सितंबर में गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की थी कि आरबीआई बदलाव कर ऐसी नई प्रणाली अपनाने पर विचार कर रहा है, जो 'अधिक विवेकपूर्ण और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण' वाली होगी।
बैंकों के अधिग्रहण नियम में बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के अधिग्रहण और शेयरधारिता से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बैंकों का स्वामित्व एवं नियंत्रण विभिन्न हाथों में बना रहे और बड़े शेयरधारक लगातार ‘उपयुक्त’ बने रहें। केंद्रीय बैंक ने इस संदर्भ में मास्टर दिशानिर्देश (बैंकिंग कंपनियों में शेयरों का अधिग्रहण और होल्डिंग या वोटिंग अधिकार) निर्देश, 2023 जारी किया है। इसमें कहा गया है, ये निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिये जारी किए गए हैं कि बैंकिंग कंपनियों का अंतिम स्वामित्व और नियंत्रण अच्छी तरह विविध रूप में हो और बैंक इकाइयों के प्रमुख शेयरधारक निरंतर आधार पर उपयुक्त बने रहें।