संकट से जूझ रही एयरलाइन गो फर्स्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से अनुरोध किया कि उसकी स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका पर जल्द फैसला किया जाए। इसबीच पट्टेदारों ने एयरलाइन के विमान का पंजीकरण रद्द करना शुरू कर दिया है। न्यायाधिकरण ने चार मई को गो फर्स्ट की याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता पी नागेश ने प्रांजल किशोर के साथ रामलिंगम सुधाकर की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ के समक्ष सुबह मामले का उल्लेख किया।
कंपनियों ने पंजीकरण रद्द करना शुरू किया
उन्होंने न्यायाधिकरण से अनुरोध किया कि उसकी याचिका पर जल्द फैसला किया जाए, क्योंकि पट्टेदारों ने एयरलाइन के विमान का पंजीकरण रद्द करना शुरू कर दिया है। पीठ ने गो फर्स्ट के अनुरोध पर विचार करने की बात कही। पट्टेदारों ने 20 से अधिक विमानों का पंजीकरण रद्द करने की मांग की है। वाडिया समूह की फर्म ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका दायर करने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से संपर्क किया है। गो फर्स्ट पिछले 17 वर्षों से उड़ान भर रही है और उसने 15 मई तक टिकटों की बिक्री को निलंबित कर दिया है।
15 मई तक सभी उड़ानें रद्द
गो फर्स्ट ने 15 मई तक अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं। वाडिया समूह की विमानन कंपनी ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका दायर की थी। न्यायाधिकरण ने बृहस्पतिवार को इस पर सुनवाई करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। विमानन कंपनी ने ट्विटर पर लिखा है, “परिचालन संबंधी कारणों से, 15 मई 2023 तक निर्धारित गो फर्स्ट की सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं।” बयान में कहा गया, “टिकट बुक कराने वाले यात्रियों को जल्द ही पूरा रुपया वापस किया जाएगा।” विमानन कंपनी ने अपनी उड़ानें तीन मई से तीन दिन के लिए रद्द की थीं। बाद में इस समय को बढ़ाकर नौ मई कर दिया गया और अब 15 मई तक उड़ानें रद्द कर दी गई हैं।