अगर आपने भी बीते कुछ महीनों में गो फर्स्ट से हवाई टिकट बुक की है, और एयरलाइंस बंद होने के बाद से आपका पैसा अटका हुआ है तो आपके लिए अच्छी खबर है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने यात्रा के लिए टिकट खरीदने वाले करीब 15.5 लाख यात्रियों को 597.54 करोड़ रुपये वापस करने की याचिका पर सोमवार को गो फर्स्ट के कर्जदाताओं की समिति तथा दिवाला व ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड को नोटिस जारी किया।
3 मई से बंद हैं सेवाएं
संकटग्रस्त गो फर्स्ट के समाधान पेशेवर (आरपी) ने यात्रियों को पैसे वापस करने की अनुमति मांगने के लिए एनसीएलटी का रुख किया है। गो फर्स्ट ने अपनी विमान सेवाएं तीन मई को बंद कर दी थी, जबकि कुछ यात्रियों ने 10 जुलाई तक के लिए एयरलाइन की टिकट खरीदी थीं। समाधान पेशेवर का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन ने कहा कि यह बंद पड़ी एयरलाइन को बहार करने की व्यावसायिक योजना के तहत किया जा रहा है।
NCLT के पास है मामला
एनसीएलटी की पीठ ने कहा कि ऐसी व्यवसाय योजना की व्यवहार्यता तथा क्रियान्वयन ‘‘ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के सदस्यों के सुझावों के तहत’’ होनी चाहिए। महेंद्र खंडेलवाल तथा राहुल पी.भटनागर वाली एनसीएलटी की पीठ ने समाधान पेशेवर से राशि की वापसी पर ऋणदाताओं से विशेष मंजूरी लेने को कहा। श्रीनिवासन ने कहा कि सीओसी को इसकी जानकारी है और उन्होंने इसकी मंजूरी दे दी है। बहरहाल उन्होंने इस बात का पता लगाने के लिए समय मांगा कि क्या इस विशिष्ट योजना को सीओसी ने मंजूरी दी है या नहीं।
7 अगस्त को होगी अलगी सुनवाई
एनसीएलटी ने कहा कि योजना में बार-बार बदलाव किया जा रहा है इसलिए यह बेहतर होगा यदि पैसे वापस करने के लिए एक विशिष्ट समाधान निकाला जाए। यह भी पता लगाया जाए कि क्या किसी ने इस योजना पर आपत्ति जतायी है या नहीं। इस पर श्रीनिवासन ने कहा कि यह जनहित में किया जा रहा है और उन्होंने इस मुद्दे में नियामक भारतीय दिवाला व ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) को पक्ष बनाने का सुझाव दिया। पीठ ने इससे सहमत होते हुए कहा, ‘‘ हम सीओसी और आईबीबीआई को नोटिस जारी कर मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश देते हैं।’’ इस मामले पर आगे की सुनवाई सात अगस्त को होगी।