Thursday, October 24, 2024
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ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ सुस्त पड़ने की IMF ने जताई आशंका, कहा-कर्ज के दलदल में फंसने का होगा रिस्क

कई देश उन कर्जों से जूझ रहे हैं जो उन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर लिए थे। आईएमएफ के मुताबिक, इस साल दुनिया भर में सरकारी कर्ज 1,00,000 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच जाएगा।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: October 24, 2024 21:39 IST
आईएमएफ का कहना है कि दुनिया ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में काफी प्रगति की है। - India TV Paisa
Photo:FREEPIK आईएमएफ का कहना है कि दुनिया ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में काफी प्रगति की है।

दुनिया में अलग-अलग देशों के बीच जारी संघर्ष के साथ बढ़ते तनाव के चलते दुनिया की अर्थव्यवस्था पर वृद्धि सुस्त पड़ने और साथ ही साथ कर्ज के दलदल में फंसने का जोखिम है। यह बात गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने दुनिया को आगाह करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात पूरी दुनिया पर अपना असर डाल रहा है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, जॉर्जीवा ने चीन के नेताओं से आग्रह किया कि वे अपने देश की सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए और अधिक निर्णायक कदम उठाएं अन्यथा आर्थिक वृद्धि दर के नीचे जाने का जोखिम बना हुआ है।

यह चिंतित होने का समय

खबर के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की एमडी जॉर्जीवा ने आईएमएफ और विश्व बैंक की मीटिंग के दौरान कहा कि यह चिंतित होने का समय है। आईएमएफ ने इस वर्ष वैश्विक वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जो कम है। उन्होंने कहा कि संघर्ष और बढ़ते वैश्विक तनाव के साथ वैश्विक व्यापार कमजोर बना हुआ है। इस तनाव में दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- अमेरिका और चीन के बीच खराब रिश्ते भी शामिल हैं। वास्तव में व्यापार अब वृद्धि का शक्तिशाली इंजन नहीं रह गया है। हम अधिक बंटी हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था में रह रहे हैं।

आय के साथ नौकरियां कम होंगी

उनका यह भी कहना है कि कई देश उन कर्जों से जूझ रहे हैं जो उन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर लिए थे। आईएमएफ के मुताबिक, इस साल दुनिया भर में सरकारी कर्ज 1,00,000 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच जाएगा। यह वैश्विक आर्थिक उत्पादन के 93 प्रतिशत के बराबर होगा। वहीं यह साल 2030 तक 100 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। जॉर्जीवा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के कम वृद्धि दर, ऊंचे कर्ज दलदल में फंसने का खतरा है। यानी आय के साथ नौकरियां कम होंगी।

आर्थिक पृष्ठभूमि पूरी तरह निराशाजनक नहीं

जॉर्जीवा ने वैसे यह भी कहा कि फिर भी, आर्थिक पृष्ठभूमि पूरी तरह निराशाजनक नहीं है। आईएमएफ का कहना है कि दुनिया ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में काफी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि महंगाई को काबू में लाने में फेडरल रिजर्व और दूसरे केंद्रीय बैंकों के उच्च ब्याज दर समेत दूसरे कदम की अहम भूमिका है। जॉर्जीवा के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का अनुमान है कि विकसित देशों में मुद्रास्फीति अगले साल दो प्रतिशत के आसपास आ जाएगी जो कई केंद्रीय बैंकों के लक्ष्य के मुताबिक है।

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