आम तौर पर हम मानते हैं कि बैंकों के पास काफी पैसा होता है। लेकिन जब बैंक की यह कह दे कि 'हमारे पास पैसे नहीं' हैं, तो यह बात काफी चौंकाने वाली लगती है। यह चौंकाने वाला बयान देश के प्रमुख निजी बैंक एक्सिस बैंक की ओर आया है। दरअसल एक्सिस बैंक के प्रमुख अमिताभ चौधरी रिजर्व बैंक के उस बयान का जवाब दे रहे थे, जिसमें देश के सरकारी और निजी बैंकों की ओर से यूपीआई भुगतान प्रणाली लागू करने से जुड़ी तैयारियों में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया गया था।
एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अमिताभ चौधरी ने कहा कि यदि रिजर्व बैंक हमें यूं ही फूंकने के लिए 3000 करोड़ रुपये दे सकती है तो हम आसानी से यूपीआई कारोबार में उतर सकते हैं। एक्सिस बैंक के मुखिया ने कहा कि बैंकों के पास इस तरह का कारोबार खड़ा करने के लिए पैसे नहीं हैं। अमिताभ चौधरी ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर की एक टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा, "हमारे पास नुकसान उठाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये नहीं थे।"
घाटे में चल रहे हैं यूपीआई कारोबार
निजी क्षेत्र के तीसरे बड़े बैंक के प्रमुख चौधरी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि 'यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस' (यूपीआई) जैसे कारोबार घाटे में चल रहे हैं और इनमें नकदी की भी किल्लत है। इसके साथ ही उन्होंने यूपीआई-आधारित कारोबारों का मूल्यांकन लगातार बढ़ते जाने पर भी आश्चर्य जताया। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने गत दिनों कहा था कि कुछ बैंकों ने यूपीआई कारोबार के लिए शुरुआती निवेश नहीं किया जिससे वे इस कारोबार में पिछड़ रहे हैं।
गूगल पे और फोन पे के पास हैं ये विकल्प
चौधरी ने कहा कि यूपीआई भुगतान में गूगल पे और फोनपे जैसी कंपनियां इसलिए मोटा निवेश कर रही हैं कि उनके पास दूसरे कारोबार भी हैं। इस क्षेत्र में आगे की राह यही है कि या तो वे एक वितरक के तौर पर काम कर शुल्क वसूलें या फिर इसी तरह के कारोबार में बैंकों के साथ मुकाबला करें। उन्होंने कहा, "बैंक या अन्य संस्थान इन टेक-बेस्ड कंपनियों की तरह भारी निवेश कर घाटा उठाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।"