Highlights
- विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के बाद भारत से आगे अब ब्रिटेन पहुंच गया है
- पीपीपी के हिसाब से वैश्विक जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 2021 में 10.22 फीसदी पहुंच गई
- पीपीपी के हिसाब से वैश्विक जीडीपी में चीन की हिस्सेदारी 27.31% और अमेरिका का योगदान 23% है
GDP (Gross domestic product) यानी सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार भारत दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है। कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका लगा है जिससे इसकी रैकिंग एक पायदान नीचे आ गई है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से आगे अब ब्रिटेन पहुंच गया है। पहले भारत पांचवें पायदान पर था। वहीं, अगर क्रय शक्ति समानता (Purchasing Power Parity) के आधार पर देंखे तो भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब आप सोच सकते हैं कि आखिर इन दोनों के बीच इतना बड़ा अंतर क्यों हैं? तो आइए, जानते हैं कि जीडीपी और पीपीपी क्या है और कैसे किसी देश की अर्थव्यवस्था का साइज इन दोनों से मापा जाता है।
GDP क्या और कैसे मापा जाता है?
GDP को हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। इसका उपयोग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है। अगर जीडीपी बढ़ती है तो इसका मतलब है देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। यदि जीडीपी कम हो रही है तो इसका मतलब है देश की अर्थव्यवस्था कमजोर है। आसान शब्दों में कहे तो जिस तरह किसी बच्चे के मार्कशीट से पता चलता है कि उसने सालभर में कैसा प्रदर्शन किया है और किन विषयों में वह मजबूत या कमजोर है। उसी तरह जीडीपी आर्थिक गतिविधियों का पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेजी या गिरावट आई है। जीडीपी के डेटा को आठ सेक्टरों से पता किया जाता है। इनमें कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी, माइनिंग, ट्रेड और कम्युनिकेशन, रियल एस्टेट और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज और सार्वजनिक सेवाएं शामिल हैं। जीडीपी के साइज के आधार भी अभी भारतीय अर्थव्यवस्था छठे पायदान पर है।
PPP क्या और गणना किस तरह की जाती है?
क्रय शक्ति समानता यानी पीपीपी का इस्तेमाल अर्थव्यवस्थाओं में एकसमान वस्तुओं की कीमत के स्तर की तुलना करने के लिए किया जाता है। पीपीपी के आधार पर भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पीपीपी के हिसाब से वैश्विक जीडीपी (Global GDP) में भारत की हिस्सेदारी 2021 में 10.22 फीसदी पहुंच गई। दूसरे शब्दों में समझें तो दुनिया की कुल जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 10,510 अरब डॉलर रही। वहीं, चीन की हिस्सेदारी 27.31 फीसदी और अमेरिका का योगदान 23 फीसदी है। एनएसओ के मुताबिक, पीपीपी आधारित वैश्विक वास्तविक व्यक्तिगत खपत में हिस्सेदारी और वैश्विक सकल पूंजी निर्माण के आधार पर भी भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर भारत की जीडीपी 10,510 अरब डॉलर है और यह जापान और जर्मनी से आगे है। भारत में अधिक आबादी के कारण प्रति व्यक्ति जीडीपी 2170 डॉलर है। यह अमेरिका में प्रति व्यक्ति 62,794 डॉलर है। जीडीपी और पीपीपी के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि जीडीपी मुद्रास्फीति के प्रभावों के लिए समायोजित नहीं किया जाता है और यह वर्तमान बाजार कीमतों पर होता है। वहीं, पीपीपी में जीडीपी के क्रय शक्ति समता दरों का उपयोग करके अमेरिकी डॉलर में परिवर्तित किया जाता है और कुल जनसंख्या से विभाजित किया जाता है।