Sunday, November 17, 2024
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FY2024 में भारत की जीडीपी रफ्तार को लेकर गोल्डमैन सैक्स का नया अनुमान, जानें निवेश को लेकर क्या कहा

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, यह 2023 में अनुमानित 5.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति की दर से कम है। प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2024 में 5.1 प्रतिशत रहेगी।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: November 20, 2023 16:06 IST
निवेश वृद्धि में खासकर निजी क्षेत्र से फिर से तेजी लाएगा।- India TV Paisa
Photo:FILE निवेश वृद्धि में खासकर निजी क्षेत्र से फिर से तेजी लाएगा।

भारत वित्तीय वर्ष 2024 में मामूली गिरावट के साथ 6.3 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगा। अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। भारत की वास्तविक वैश्विक घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर यह भी कहा कि अगला कैलेंडर साल दो हिस्सों का होगा, जिसमें आगामी आम चुनाव से पहले सरकारी खर्च वृद्धि का मुख्य चालक होगा, जबकि चुनाव के बाद यह निवेश वृद्धि में खासकर निजी क्षेत्र से फिर से तेजी लाएगा।

वित्त वर्ष 2024-25 में विकास दर का अनुमान

खबर के मुताबिक, ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि वित्त वर्ष के संदर्भ में वित्त वर्ष 2024-25 में विकास दर के चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। भाषा की खबर के मुताबिक, गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि इस सेक्टर में भारत में संरचनात्मक ग्रोथ की सबसे अच्छी संभावनाएं हैं। हमारा मानना है कि 2024 में जीडीपी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत पर मजबूत रहने की संभावना है।

फर्म ने संभावना जताई है कि प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2024 में 5.1 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, यह 2023 में अनुमानित 5.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति की दर से कम है।

ये फैक्टर्स होंगे जिम्मेदार

रिपोर्ट में कहा गया कि देश वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों, डॉलर की लगातार मजबूती और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं जैसे संभावित बाहरी झटकों के प्रति कम ‘संवेदनशील’ है। ब्रोकरेज ने कहा कि वृद्धि परिदृश्य को लेकर जोखिम समान रूप से संतुलित हैं, लेकिन “मुख्य घरेलू जोखिम राजनीतिक अनिश्चितता से उत्पन्न हो रहा है, क्योंकि 2024 की अप्रैल-जून तिमाही में आम चुनाव होने वाले हैं।” पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के साथ चुनावी मौसम पहले से ही चल रहा है। इसके बाद आम चुनाव का मौसम शुरू होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चुनावों के नतीजों पर निवेशकों द्वारा आर्थिक सुधारों और/या नीति निरंतरता के दृष्टिकोण से ‘गहराई से नजर’ रखी जाएगी।

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