Highlights
- गेल के चेयरमैन मनोज जैन ने कहा है कि कंपनी ने अमेरिका से गैस की आपूर्ति समय से पहले प्राप्त की
- सस्ती ऊर्जा हासिल करने के प्रयास के तहत अगले साल और एलएनजी के अनुबंधों पर विचार
- अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तथा रूस से एलएनजी की आपूर्ति के लिये दीर्घकालीन अनुबंध
नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की गेल (इंडिया) लि. के चेयरमैन मनोज जैन ने कहा है कि कंपनी अमेरिका से गैस की आपूर्ति समय से पहले प्राप्त की है। साथ ही कंपनी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिये सस्ती ऊर्जा हासिल करने के प्रयास के तहत अगले साल और एलएनजी के अनुबंधों पर विचार कर रही है। देश की प्रमुख गैस परिवहन और विपणन कंपनी का अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तथा रूस से दीर्घकालीन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की आपूर्ति के लिये दीर्घकालीन अनुबंध है।
जैन ने कहा, ‘‘हमने तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2021) में अगले साल होने वाली आपूर्ति में से एलएनजी के एक-दो कार्गो (एलएनजी से लदा जहाज) को पहले प्राप्त किया है। हमने मौजूदा तिमाही में भी यही किया है।’’ इसका कारण यह है कि अमेरिकी एलएनजी की लागत मौजूदा बाजार में उपलब्ध गैस की कीमत का एक -तिहाई है।
गेल का अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं के साथ 58 लाख टन सालाना एलएनजी का अनुबंध है। यह अमेरिकी गैस बाजार-हेनरी हब से जुड़ा है। वहां मौजूदा दर अभी 5.45 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट है। जबकि एशिया में हाजिर या मौजूदा बाजार में इसकी कीमत 15.5 डॉलर प्रति यूनिट है। उन्होंने कहा, ‘‘हम गैस आपूर्ति के अनुबंध को लेकर सतर्क रहे हैं और हमारा अनुबंध अलग-अलग देशों के साथ है। इससे जोखिम को संतुलित करने में मदद मिलती है।’’
गेल अगले वर्ष की मात्रा की भरपाई और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये जल्द ही एलएनजी को लेकर अल्प अवधि से लेकर मध्यम अवधि की निविदा जारी करेगी। जैन ने कहा, ‘‘हम अगले साल की शुरूआत से तीन से पांच साल के लिये एक या उससे अधिक कार्गो की आपूर्ति हर महीने प्राप्त करने पर गौर कर सकते हैं। हम मांग का अनुमान लगाने की प्रक्रिया में हैं और कुछ समय में मात्रा तथा अन्य ब्योरे को अंतिम रूप देंगे।’’
उन्होंने कहा कि गैस मांग पहले से कोविड-पूर्व स्तर से ऊपर पहुंच चुकी है और शहरों में वाहनों के लिये सीएनजी तथा घरों में पाइप के जरिये रसोई गैस की आपूर्ति को लेकर गैस वितरण नेटवर्क के विस्तार के साथ कुछ और क्षेत्रों में इसकी मांग बढ़ेगी। साथ ही उर्वरक संयंत्रों में भी मांग बढ़ने की उम्मीद है।