आपको छोटे कर्ज देने वाली नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) इस समय खुद फाइनेंस के सूखे से गुजर रही हैं। इन एनबीएफसी को फाइनेंस करने वाले बैंकों ने अपनी मुट्ठियां भींच ली हैं, जिसके चलते इनके सामने फाइनेंसिंग की परेशानी खड़ी हो गई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार बैंकों से मिलने वाले वित्त पोषण को लेकर अधिकतम सीमा तक पहुंचने के साथ चालू वित्त वर्ष में एनबीएफसी की अनुमानित 16 प्रतिशत की ऋण वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
इंडिया रेटिंग की एक रिपोर्ट में कहा गया कि एनबीएफसी को बैंकों से मिलने वाला वित्त पोषण फरवरी 2023 में तेजी से बढ़कर 13.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2016-17 में 3.9 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह इसमें 22 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि हो रही है। यह समग्र बैंक ऋण वृद्धि के मुकाबले दोगुना है। बैंक वित्त पोषण की बढ़ती हिस्सेदारी ने एनबीएफसी के लिए पूंजी की कमी को दूर करने में मदद की।
हालांकि, अब उन्हें 2023-24 में पूंजी के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसमें आवासीय क्षेत्र की एनबीएफसी भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इससे ऋण वृद्धि का उनका लक्ष्य प्रभावित होने की आशंका है। इससे पहले 16 प्रतिशत की दर से एनबीएफसी की ऋण वृद्धि होने का अनुमान जताया गया था।
बीमा कंपनियों में 3,000 करोड़ रुपये डालेगी सरकार
वित्त मंत्रालय घाटे में चल रहीं सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों में चालू वित्त वर्ष में 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालने की योजना पर काम कर रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में भी तीन साधारण बीमा कंपनियों में 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सर्वाधिक 3,700 करोड़ रुपये दिए गए थे जबकि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 1,200 करोड़ रुपये और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को 100 करोड़ रुपये मिले थे।