वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा को विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारी बहुमत के साथ वापस आएंगे और सरकार गठन के तुरंत बाद 2024-25 के पूर्ण बजट पर चर्चा शुरू होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री ने व्यापार संगठन सीआईआई के वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है और अगले कुछ साल यही स्थिति बनी रहेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस साल फरवरी में सिर्फ लेखानुदान पेश किया है और अर्थव्यवस्था को ज्यादा गति देने के लिए पूर्ण बजट की तैयारी सरकार गठन के साथ ही शुरू हो जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2031 तक देश के उपभोक्ता बाजार का आकार दोगुना होने की उम्मीद है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कॉर्पोरेट सेक्टर और वित्तीय सेक्टर की बैलेंस शीट की मजबूती से विकास की रफ्तार और बढ़ेगी।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी लाने की जरूरत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि देश को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर) में तेजी लाने की जरूरत है। सीतारमण ने कहा, मैं कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई इस सलाह के विपरीत कुछ रेखांकित करना चाहती हूं कि भारत को अब विनिर्माण पर ध्यान नहीं देना चाहिए या विनिर्माण में तेजी नहीं लानी चाहिए। मैं इस तथ्य पर जोर देना चाहती हूं कि विनिर्माण में वृद्धि होनी चाहिए। भारत को नीतियों की मदद से वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपनी (विनिर्माण) हिस्सेदारी भी बढ़ानी चाहिए। माना जा रहा है कि अगर भाजपा की सरकार फिर से बनती है तो इस बार बजट में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने को लेकर कई घोषणाएं हो सकती है।
रघुराम राजन ने उठाए थे सवाल
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कुछ अर्थशास्त्रियों ने राय व्यक्त की है कि भारत को विनिर्माण के बजाय सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि उसने वह अवसर गंवा दिया है। उनका कहना है कि चीन के विनिर्माण-आधारित वृद्धि मॉडल को अब और दोहराया नहीं जा सकता। हालांकि, सीतारमण ने कहा कि विनिर्माण के विस्तार से भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत के पास अब भी अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाने का अवसर है क्योंकि दुनिया कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद ‘चीन प्लस वन’ रणनीति पर ध्यान दे रही है। ‘कैपजेमिनी रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की मई में जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका में वरिष्ठ अधिकारियों के लिए निवेश स्थलों की सूची में भारत शीर्ष पर है, जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं और अपनी विनिर्माण क्षमता का कुछ हिस्सा उभरते बाजारों में स्थानांतरित करना चाहते हैं।