भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने उचित व्यापार व्यवहार सुनिश्चित करने और मिलावट रोकने के प्रयासों के तहत पहली बार बासमती चावल की पहचान के लिए व्यापक मानक जारी किए हैं। बासमती चावल में प्राकृतिक सुगंध गुण होना चाहिए और कोई कृत्रिम रंग, पॉलिश करने वाले तत्व और कृत्रिम सुगंध नहीं होनी चाहिए। अधिसूचित किए गए ये मानक इस साल अगस्त से प्रभावी होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘देश में पहली बार एफएसएसएआई ने बासमती चावल के लिए पहचान मानकों की स्पष्ट रूप से व्याख्या की है।’’
बासमती चावल में ब्राउन बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, उसना भूरा बासमती चावल और मिल्ड उसना बासमती चावल शामिल हैं। एफएसएसएआई ने इन मानकों को भारत के राजपत्र में अधिसूचित खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 के माध्यम से जारी किया है। बयान में कहा गया है, ‘‘इन मानकों के अनुसार, बासमती चावल में बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषताएं होनी चाहिए और इसे कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंट और कृत्रिम सुगंध से मुक्त होना चाहिए।’’
ये मानक बासमती चावल के लिए विभिन्न पहचान और गुणवत्ता मापदंडों को भी स्पष्ट करते हैं जैसे कि अनाज का औसत आकार कितना हो और पकाने के बाद उनका बढ़ा हुआ आकार कितना होना चाहिये। इन मानदंडों में अनाज में नमी की अधिकतम सीमा, यूरिक एसिड, दोषपूर्ण/क्षतिग्रस्त अनाज की उपस्थिति और अन्य गैर-बासमती चावल आदि की की मात्रा के संदर्भ में भी बात की गई है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘इन मानकों को तय करने का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित कामकाज को स्थापित करना तथा घरेलू एवं वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है।’’