नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (CMD) सुरेश नारायणन ने कहा है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के काम करने के तरीके में नाटकीय बदलाव आया है और पिछले दशक में नियामक तेजी से प्रतिक्रिया देने के साथ अधिक सक्रिय और उद्योग-केंद्रित हो गया है। लगभग एक दशक पहले सामने आए मैगी संकट के बाद नेस्ले इंडिया का नेतृत्व करने वाले नारायणन ने कहा कि इसके अलावा, एफएसएसएआई के विभिन्न अगुवाओं द्वारा अधिक संख्या में एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ, परीक्षण प्रक्रिया की विश्वसनीयता भी बढ़ गई है।
2015 में मैगी नूडल्स पर लगा था प्रतिबंध
एफएसएसएआई ने जून, 2015 में मैगी नूडल्स में कथित रूप से स्वीकार्य सीमा से अधिक सीसा पाए जाने के कारण उसपर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके कारण कंपनी को बाजार से यह उत्पाद वापस लेना पड़ा था। उद्योग के पर्यवेक्षकों का मानना है कि मैगी संकट के बाद ही एफएसएसएआई देश भर में सुर्खियों में आया। हालांकि, इसकी स्थापना लगभग सात साल पहले सितंबर, 2008 में खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक और नियम व विनियम निर्धारित करने के लिए की गई थी। प्रतिबंध हटने के बाद नवंबर, 2015 में नेस्ले इंडिया ने मैगी को फिर से बाजार में उतारा और तेजी से बढ़ते त्वरित नूडल्स खंड में फिर से अपना स्थान हासिल कर लिया, जहां यह अब भी 60 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है।
नेस्ले ने मैगी की छह अरब से अधिक ‘सर्विंग्स’ बेची
नेस्ले ने मैगी की छह अरब से अधिक ‘सर्विंग्स’ बेची हैं, जिससे भारत दुनिया भर में मैगी के लिए सबसे बड़ा बाजार बन गया है। कंपनी ने इसी साल अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में यह दावा किया था। मैगी संकट के बाद पिछले दशक में एक नियामक के रूप में एफएसएसएआई के विकास के बारे में पूछे जाने पर, नारायणन ने कहा कि यह “बहुत लंबा सफर तय कर चुका है।” नेस्ले इंडिया स्विट्जरलैंड की बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले एसए की सब्सिडियरी है। नेस्ले इंडिया के लिए भारत सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से है।