कई राज्यों के अपने 2024-25 के बजट में घोषित रियायतों के चलते महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास प्रभावित हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक लेख में मंगलवार को यह आशंका जताई गई। आरबीआई बुलेटिन के दिसंबर अंक में पब्लिश लेख के मुताबिक, केंद्र और राज्यों, दोनों के मामले में अप्रैल-सितंबर, 2024-25 में बजट अनुमान के प्रतिशत के अनुसार सकल राजकोषीय घाटा कम हुआ है। ऐसा मुख्य रूप से मजबूत प्राप्तियों, राजस्व व्यय वृद्धि के धीमा होने और पूंजीगत व्यय में गिरावट के कारण हुआ। लेख के मुताबिक, इससे उन्हें 2024-25 के उत्तरार्ध में पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए राजकोषीय गुंजाइश मिलती है। इससे मध्यम अवधि में वृद्धि संभावनाओं का समर्थन करने में मदद मिलेगी
कई राज्य लेकर आए हैं फ्री स्कीम
लेख में आगे कहा गया है कि कई राज्यों ने अपने 2024-25 के बजट में रियायतों की घोषणा की है। हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और झारखंड समेत कई राज्यों ने कृषि और घरेलू क्षेत्र के लिए मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन, बेरोजगार युवाओं को भत्ते और महिलाओं को मौद्रिक सहायता सहित कई रियायतों की घोषणा की है। इसमें कहा गया कि केंद्र ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के कर संग्रह में वृद्धि दर्ज की है और यह रुझान जारी रहने की उम्मीद है। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और उसके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
दूसरी तिमाही की सुस्ती से उबर रही इकोनॉमी
भारतीय अर्थव्यवस्था सितंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आई सुस्ती से उबर रही है और इसे मजबूत त्योहारी गतिविधियों तथा ग्रामीण मांग में लगातार उछाल से सपोर्ट मिल रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक के दिसंबर के बुलेटिन में पब्लिश‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’पर एक लेख में यह जानकारी दी गई है। लेख में कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर वृद्धि और नरम मुद्रास्फीति के साथ जुझारूपन दिखा रही है। इसके मुताबिक,‘‘2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े (एचएफआई) बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में देखी गई सुस्ती से उबर रही है, जो मजबूत त्योहारी गतिविधियों और ग्रामीण मांग में लगातार उछाल के कारण है।’’
(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)