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कंपनियों के कमजोर तिमाही रिजल्ट्स की आशंका या कुछ और... 3 दिन में FPI ने बेचे 4,285 करोड़ रुपये के शेयर

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने एफपीआई की धारणा को और कमजोर कर दिया है, क्योंकि मुद्रा जोखिम ने भारतीय निवेश को कम आकर्षक बना दिया है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस साल ब्याज दरों में कम कटौती के संकेत भी निवेशकों का भरोसा बढ़ाने में विफल रहे हैं।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Jan 05, 2025 14:37 IST, Updated : Jan 05, 2025 14:37 IST
एफपीआई निवेश
Photo:FILE एफपीआई निवेश

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले आशंकाओं और घरेलू शेयरों की हाई वैल्यूएशन के कारण इस महीने के पहले तीन कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से 4,285 करोड़ रुपये निकाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इससे पहले पूरे दिसंबर माह में एफपीआई ने शेयरों में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था। वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच एफपीआई की धारणा में बदलाव आया है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘जबतक डॉलर मजबूत रहेगा और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड आकर्षक रहेगा, तब तक एफपीआई की बिकवाली जारी रहने की संभावना है। डॉलर इंडेक्स इस समय 109 के आसपास है और 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड 4.5 प्रतिशत से अधिक है। इस वजह से एफपीआई निकासी कर रहे हैं।’’

3 दिन में बेचे 4,285 करोड़ रुपये के शेयर

आंकड़ों के अनुसार, एक से तीन जनवरी के दौरान एफपीआई ने 4,285 करोड़ रुपये के शेयर बेचे है। विदेशी निवेशकों के बीच अनिश्चितता का पता मौजूदा निकासी के रुख से चलता है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘विदेशी निवेशकों ने कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले सतर्क रुख अपनाया है। इसके अलावा अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित नीतियों और वैश्विक बाजारों पर उनके प्रभाव की वजह से भी निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं।’’

कमजोर रुपये का भी असर

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने एफपीआई की धारणा को और कमजोर कर दिया है, क्योंकि मुद्रा जोखिम ने भारतीय निवेश को कम आकर्षक बना दिया है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस साल ब्याज दरों में कम कटौती के संकेत भी निवेशकों का भरोसा बढ़ाने में विफल रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर बात की जाए, तो एफपीआई मुख्य रूप से हाई वैल्यूएशन की वजह से बिकवाली कर रहे हैं। कुल मिलाकर यह रुझान विदेशी निवेशकों द्वारा सतर्क रुख को दर्शाता है, जिन्होंने 2024 में भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। 2023 में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। वहीं, साल 2022 में एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।

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