पूर्व ट्विटर सीईओ पराग अग्रवाल, पूर्व-कानूनी प्रमुख विजया गड्डे और अन्य अधिकारियों ने एलन मस्क को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, डेलावेयर चांसरी कोर्ट के जज कैथलीन सेंट जे. मैककॉर्मिक ने अग्रवाल और टीम के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना है कि ट्विटर ने कंपनी के लिए उनके काम से कमाए पैसे से कानूनी खर्चों को कवर करने के अपने कर्तव्यों का उल्लंघन किया। इसके बाद कोर्ट ने एलन मस्क द्वारा संचालित एक्स कॉर्प से कानूनी फीस के तौर पर 1.1 मिलियन डॉलर (9.15 करोड़) देने का आदेश दिया है।
अप्रैल में मस्क पर मुकदमा दायर किया था
भारतीय मूल के ट्विटर सीईओ अग्रवाल, पूर्व कानूनी प्रमुख गड्डे और पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी नेड सेगल ने 1 मिलियन डॉलर से ज्यादा के अवैतनिक कानूनी बिलों को लेकर इस साल अप्रैल में मस्क द्वारा संचालित ट्विटर पर मुकदमा दायर किया था। पिछले साल अक्टूबर में, मस्क ने अग्रवाल, गड्डे और सेगल को सूचित किया कि कंपनी के साथ उनका एंप्लॉयमेंट समाप्त हो गया है, क्योंकि उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। मुकदमे के अनुसार, तीनों ने आरोप लगाया कि ट्विटर को उन्हें 1 मिलियन डॉलर से अधिक का भुगतान करना होगा। ये खर्च कई सुनवाई में न्याय विभाग और प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) द्वारा सवालों का जवाब देने के लिए किया गया।
पराग अग्रवाल को लगभग 40 मिलियन डॉलर मिला था
मुकदमे के अनुसार, गड्डे को इस साल फरवरी में सिक्योरिटीज क्लास एक्शन में एक अभियुक्त के रूप में नामित किया गया था, जब उस कार्रवाई में वादी ने मुकदमे के अनुसार एक संशोधित क्लास एक्शन शिकायत दर्ज की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब इन तीनों शीर्ष अधिकारियों ने ट्विटर छोड़ा तो उनके पास करीब 90-100 मिलियन डॉलर का एग्जिट पैकेज था। पराग अग्रवाल को लगभग 40 मिलियन डॉलर का सबसे बड़ा भुगतान मिला, जिसका मुख्य कारण ट्विटर में उनके शेयर थे, जो नौकरी से निकाले जाने के बाद मिलने थे। अग्रवाल और सेगल को सितंबर में सिक्योरिटीज क्लास एक्शन में प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया था, जबकि दोनों अभी भी ट्विटर पर काम कर रहे थे।
इनपुट: आईएएनएस