खाद्यान्नों की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रबल समर्थक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अग्रणी विशेषज्ञ अर्थशास्त्री अभिजीत सेन (Abhijit Sen) का सोमवार की रात निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। योजना आयोग के सदस्य रह चुके सेन उस ऐतिहासिक रिपोर्ट के लेखक थे, जिसने कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) को एक वैधानिक निकाय बनाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण की सिफारिश की थी।
क्या कहा गया था रिपोर्ट?
रिपोर्ट में कहा गया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत पर आधारित होना चाहिए और सरकार इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हो। सेन को 1997 में सीएसीपी का चेयरमैन नियुक्त किया गया था और उन्हें कृषि उत्पादों के लिए समर्थन मूल्य की सिफारिश करने का काम सौंपा गया था। उन्होंने जुलाई 2000 में दीर्घकालिक अनाज नीति पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट लिखी। इसमें नकद और वस्तु के रूप में किए गए सभी भुगतान को खेती के खर्चों में जोड़ने और साथ ही अवैतनिक पारिवारिक श्रम और किराए/ब्याज के आधार पर एमएसपी के निर्धारण की सिफारिश की गई थी।
योजना आयोग के सदस्य रह चुके हैं
वह 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह सरकार के दौरान योजना आयोग के सदस्य रहे। उन्हें 2010 में सार्वजनिक सेवा के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनकी पत्नी जयती घोष एक प्रमुख अर्थशास्त्री हैं और उनकी बेटी जाह्नवी पत्रकार हैं। विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने उनके निधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बेहद दुखद खबर है। एक अत्यधिक बुद्धिमान और बेहतरीन इंसान अब हमारे बीच नहीं रहे।
क्या था योजना आयोग?
2014 में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग का नाम बदलने की घोषणा की थी। तब से इसका नाम NITI Aayog कर दिया गया था। नीति आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, वह खुद को आवश्यक ज्ञान और कौशल के साथ एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है जो इसे गति के साथ कार्य करने, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने, सरकार के लिए रणनीतिक नीति प्रदान करने और आकस्मिक मुद्दों से निपटने में सक्षम बनाएगा। इसके तहत विकास निगरानी और मूल्यांकन संगठन (DMEO), अटल इनोवेशन मिशन (AIM), राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र अनुसंधान और विकास संस्थान (NILERD) जैसे डिपार्टमेंट कार्य करते हैं।