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विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में की पैसों की बारिश, चालू वित्त वर्ष में हुआ 2 लाख करोड़ का निवेश

विदेशी निवेशकों की ओर से चालू वित्त वर्ष में भारतीय बाजारों में 2.08 लाख करोड़ का निवेश किया गया है। यह निवेश दो वर्ष तक लगातार निकासी के बाद हुआ है।

Edited By: Abhinav Shalya
Published on: March 29, 2024 16:19 IST
Stock Market- India TV Paisa
Photo:FILE Stock Market

वैश्विक उठापटक के बीच भी विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में जमकर निवेश किया है। आकंड़ों के मुताबिक, एफपीआई द्वारा भारतीय बाजारों में वित्त वर्ष 2023-24 में दो लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश किया गया है। ये निवेश ऐसे समय पर हुआ है जब वैश्विक स्तर पर विभिन्न कारणों से स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई थी।  

विदेशी निवेशकों को भारत पर भरोसा

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में मजार्स इन इंडिया के प्रबंध भागीदार भारत धवन ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वानुमान सर्तकता के साथ आशावादी है। प्रगतिशील नीतिगत सुधारों, आर्थिक स्थिरता और आकर्षक निवेश अवसरों के चलते एफपीआई प्रवाह जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हम वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभाव को लेकर सचेत हैं, जिनके चलते बीच-बीच में अस्थिरता आ सकती है, लेकिन हम बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने में रणनीतिक योजना और तत्परता के महत्व पर जोर देते हैं। विंडमिल कैपिटल के स्मॉलकेस प्रबंधक और वरिष्ठ निदेशक नवीन केआर ने कहा कि एफपीआई के नजरिये से 2024-25 की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं।

2.08 लाख करोड़ का हुआ निवेश

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में लगभग 2.08 लाख करोड़ रुपये और ऋण या बॉन्ड बाजार में 1.2 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। उन्होंने कुल मिलाकर पूंजी बाजार में 3.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया। पिछले दो वित्त वर्षों में शेयरों से शुद्ध निकासी के बाद यह जोरदार वापसी देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2022-23 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 37,632 करोड़ रुपये निकाले थे।

 मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक - शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में मुद्रास्फीति और ब्याज दर की दिशा, मुद्रा की स्थिति, कच्चे तेल की कीमतों, भू-राजनीतिक परिदृश्य और घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती जैसे कारकों से एफपीआई प्रवाह सकारात्मक रहा। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अधिक मजबूत और स्थिर रही, जिससे विदेशी निवेशक आकर्षित हुए। 

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