Thursday, November 28, 2024
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गेहूं से बनने वाले खाने-पीने के सामान होंगे सस्ते, सरकार उठाने जा रही है ये कदम

जानकारों का कहना है कि सरकार के इस कदम से गेहूं से बनने वाले सामान के दाम कम होंगे,​ जिसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Nov 28, 2024 21:05 IST, Updated : Nov 28, 2024 21:05 IST
Wheat - India TV Paisa
Photo:FILE गेहूं

आम जनता बढ़ी महंगाई से परेशान है। तमाम खाने-पीने के सामान तेजी से बढ़े हैं। इससे आम लोगों का घर का बजट गड़बड़ हो रहा है। अब बढ़ी महंगाई से राहत देने के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने बृहस्पतिवार को खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर लगाम लगाने के लिए थोक घरेलू उपभोक्ताओं को मार्च 2025 तक 25 लाख टन एफसीआई गेहूं बेचने की घोषणा की। जानकारों का कहना है कि सरकार के इस कदम से गेहूं से बनने वाले सामान के दाम कम होंगे,​ जिसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा। गेहूं की बिक्री सरकार की खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) पहल के तहत की जाएगी। इसका प्रबंधन सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा, आपूर्ति और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। 

ई-नीलामी के माध्यम से गेहूं बेचा जाएगा

खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ओएमएसएस के तहत गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य उचित एवं औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) अनाज के लिए 2,325 रुपये प्रति क्विंटल और यूआरएस (थोड़ी कम गुणवत्ता वाले) अनाज के लिए 2,300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। 31 मार्च, 2025 तक ई-नीलामी के माध्यम से प्राइवेट कंपनियों को गेहूं बेचा जाएगा, जिसमें आटा मिलें, गेहूं उत्पाद बनाने वाले, प्रसंस्करणकर्ता और अंतिम उपयोगकर्ता शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने थोक उपयोगकर्ताओं को एफसीआई गेहूं की बिक्री शुरू करने की तारीख के बारे में जानकारी नहीं दी। पिछले साल, एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को 10 लाख टन से अधिक गेहूं बेचा था। 

अक्टूबर में खुदरा महंगाई में आया उछाल

अक्टूबर में खुदरा महंगाई ने 14 महीने का रिकॉर्ड तोड़ दिया। खाने-पीने के सामान महंगा होने से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई। इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी।ऐसा मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण हुआ है। इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है। पिछले साल इसी महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत थी। 

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