गेमिंग को अक्सर हम शौक मानकर इसे अक्सर बेकार मानते हैं। लेकिन गेमिंग का यही शौक यदि जरून में बदल जाए तो आपकी किस्मत भी बदल सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ है लखनऊ के श्वेतांक पाण्डेय के साथ। गेमिंग का जुनूनी यह युवक आज लाखों के पैकेज के साथ चीनी मोबाइल ब्रांड IQOO का चीफ गेमिंग अफसर बन चुका है।
खेल बना जुनून
श्वेतांक की कहानी किसी फिल्मी पटकथा जैसी है। छात्र से लेकर सीजीओ बनने तक की अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए श्वेतांक ने हाल ही में लखनऊ में कहा, “यात्रा बेहद शानदार रही, क्योंकि अगर आप भारत में ई-स्पोर्ट्स कर रहे हैं तो इसके लिए समय देना और इसके लिए परिवार का समर्थन जुटाना वाकई बहुत मुश्किल है।” श्वेतांक ने गेमिंग के प्रति जुनून को अपनाते हुए अपने परिवार से एक साल का समय मांगा था और इसलिए उन्होंने समान मासिक किस्तों (ईएमआई) पर एक स्मार्टफोन भी खरीदा था। इसके बाद 23 साल के श्वेतांक को IQOO का मुख्य गेमिंग अधिकारी (सीजीओ) नियुक्त किया जाना उनकी नियति ही है।
12वी कक्षा से शुरू की गेमिंग
श्वेतांक ने कहा, “अपने परिवार के कारण मैं ई-स्पोर्ट्स को आगे बढ़ा सका। मैंने 2019 में ई-स्पोर्ट्स शुरू किया, जब मैं 12वीं कक्षा में था। मैं तब अपने दोस्तों के साथ गेम खेलता था, लेकिन यह प्रतिस्पर्धी नहीं था।” श्वेतांक ने कहा, “इंटरमीडिएट करने के बाद मैंने संचार कौशल पर ध्यान देते हुए स्नातक की पढ़ाई की। मैंने एक साल तक काम भी किया, ताकि अपने परिवार को आश्वस्त कर सकूं कि उनके बच्चे का भविष्य सुरक्षित है और उनके मन में कोई संदेह न रहे।” श्वेतांक ने एमबीए जारी रखने का विचार त्याग दिया। उन्होंने कहा, “नौकरी के दौरान मैंने ईएमआई पर एक फोन खरीदा था और मैंने अपने परिवार वालों को बताया था कि यह फोन मैंने अपने पैसे से खरीदा है, ताकि मैं ठीक से गेमिंग कर सकूं। ये 2022 की बात है।”
आईक्यूओओ का पहला सीजीओ
आईक्यूओओ के सीजीओ बनने पर खुशी व्यक्त करते हुए श्वेतांक ने कहा, “मैं अभी खुद को दुनिया के ऊपर पर महसूस कर रहा हूं। जब मैंने शुरू में फॉर्म भरा था, तो मेरी इच्छा नहीं थी और अंतिम प्रतिभागियों में शामिल होने की उम्मीद कर रहा था। मुझे नहीं पता था कि ऐसा होगा इसने मुझे यहां तक पहुंचाया और अंततः मैं आईक्यूओओ का पहला सीजीओ बन गया।”