Highlights
- दूसरी तिमाही में समानों के मूल्यों में होगी वृद्धि
- मार्च तक घटकर 5 फीसदी पर आएगी
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटे तेल के दाम
FMCG Companies: दूसरी तिमाही में FMCG कंपनियों पर महंगाई की मार पड़ने जा रही है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रोजमर्रा के उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाले एफएमसीजी उद्योग के लिए कुछ कच्चे माल की आपूर्ति पर महंगाई का दबाव कम होने के बावजूद विनिर्माताओं को यह आशंका सता रही है कि मौजूदा तिमाही में कीमत और मार्जिन पर इसका असर बना रहेगा। अप्रैल-जून की बीती तिमाही में सूचीबद्ध एफएमसीजी कंपनियों, मसलन एचयूएल (HUL), आईटीसी (ITC), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट, नेस्ले, डाबर और ब्रिटानिया ने मिले-जुले नतीजे दिए, जिससे उनके मार्जिन पर असर पड़ा और कुछ श्रेणियों में मात्रा में गिरावट भी आई।
तीसरी तिमाही में स्थिरता का अनुमान
एफएमसीजी कंपनियों को ग्रामीण क्षेत्र में भी मात्रा में गिरावट जारी रहने की आशंका है। हालांकि चालू वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही से व्यापार में कुछ स्थिरिता आने और मांग में सुधार आने का अनुमान है। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों ने बीती तिमाही में कीमतों में बढ़ोतरी की लेकिन वह भी महंगाई को बेअसर नहीं कर पा रही है। हालांकि जुलाई-सितंबर की मौजूदा तिमाही में इसे काफी हद तक कवर कर लिया जाएगा।
दूसरी तिमाही में समानों के मूल्यों में होगी वृद्धि
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने हाल में कहा कि इस तिमाही के दौरान जरूरी मूल्य वृद्धि नहीं की जा सकी। इसे दूसरी तिमाही में अंजाम दिया जाएगा। वहीं महंगाई के बारे में पूछे जाने पर डाबर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) मोहित मल्होत्रा ने हाल ही में कहा कि दूसरी तिमाही में भी महंगाई कम नहीं होगी और मार्जिन में कमी देखने को मिलेगी। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुधीर सीतापति ने कहा है कि महंगाई के दबाव में कमी के साथ दूसरी छमाही से तेज मार्जिन वसूली की उम्मीद है। गोदरेज समूह की एफएमसीजी इकाई का पहली तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 16.56 प्रतिशत गिर गया है।
मार्च तक घटकर 5 फीसदी पर आएगी
लगातार बढ़ रही खुदरा महंगाई अगले साल मार्च तक दो फीसदी घटकर पांच फीसदी के स्तर पर आ सकती है। एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा गया कि देश में खुदरा महंगाई दर लगातार छठे महीने छह फीसदी से ऊपर रही है। हालांकि, पिछले तीन महीने में सरकार और आरबीआई की ओर से उठाए गए कदमों से महंगाई के मोर्चे पर थोड़ी राहत मिली है। इन कदमों में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती, खाद्य निर्यात पर प्रतिबंध शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटे तेल के दाम
महंगाई की दर घटने में वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में कटौती का हाथ रहा है। तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों का बेंचमार्क , ब्रेंट क्रूड, महीने के लिए लगभग 9 प्रतिशत टूटा है। यूक्रेन संकट के बाद से क्रूड पहली बार 100 डॉलर के नीचे आया है। इसके अलावा आयात शुल्क को कम करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध से भी महंगाई को काबू करने में मदद मिली।