Highlights
- आज जीएसटी ने आधे दशक का सफर 30 जून को पूरा कर लिया है
- हर महीने एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह एक सामान्य बात हो गई है
- पहले वैट, उत्पाद शुल्क, सीएसटी आदि को मिलाकर औसतन 31% कर देना होता था
टैक्स किसी भी देश की प्रगति के लिए सबसे बड़ा आर्थिक संसाधन होता है। यही टैक्स देश की विकास योजनाओं के लिए पैसों का इंतजाम करता है। देश में 70 साल पुराने कर सिस्टम में आमूल चूल बदलाव लाते हुए आज से पांच साल पहले केंद्र सरकार ने भारत के सबसे बड़े कर सुधार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को पेश किया था। आज जीएसटी ने आधे दशक का सफर 30 जून को पूरा कर लिया है।
जीएसटी को लागू करने में सरकार को कई कठिनाइयां आई, कारोबारियों को भी इसके अनुपालन में बहुत मुश्किलें आईं। इस दौरान कई तरह के फायदे नजर आए तो कई नुकसान भी दिखे , लेकिन इसे लेकर सबसे बड़ी बात रही कर अनुपालन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग आज सबसे बड़ी सफलता है। इसके चलते हर महीने एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह एक सामान्य बात हो गई है।
चार स्लैब में टैक्स व्यवस्था
राष्ट्रव्यापी माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) जैसे 17 स्थानीय कर और 13 उपकर समाहित किए गए और इसे एक जुलाई, 2017 की मध्यरात्रि को लागू किया गया था। जीएसटी में चार स्लैब है, जिसमें आवश्यक सामान पर कर की सबसे कम दर पांच फीसदी और अधिकतम 28 प्रतिशत की दर विलासिता की वस्तुओं पर लगती है। कर की अन्य दरें 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत हैं।
पहले क्या थी व्यवस्था
जीएसटी से पहले के दौर में एक उपभोक्ता को वैट, उत्पाद शुल्क, सीएसटी आदि को मिलाकर औसतन 31 प्रतिशत कर देना होता था। जीएसटी में वित्तीय संघवाद की अभूतपूर्व कवायद हुई जिसमें केंद्र और राज्य नई कर प्रणाली के सुगम क्रियान्वयन के लिए जीएसटी परिषद में एक साथ आए।
इस बार भी होगा रिकॉर्ड संग्रह
सरकार एक जुलाई को जून के जीएसटी संग्रह के आंकड़े जारी करेगी। ऐसे में यह अनुमान है कि बीते चार महीने की तरह इस बार भी संग्रह 1.4 लाख करोड़ रुपये तक होगा। अप्रैल, 2022 में यह संग्रह रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपये था। अप्रैल, 2018 में संग्रह पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया था।
आसान हुई कारोबार की राह
जीएसटी की पांचवीं वर्षगांठ पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने ट्वीट किया, ‘‘जीएसटी में कई कर और उपकर शामिल हो गए। अनुपालन का बोझ कम हुआ, क्षेत्रीय असंतुलन दूर हुआ और अंतर-राज्य अवरोध भी खत्म हुए। इससे पारदर्शिता और कुल राजस्व संग्रह भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।’’
बीडीओ इंडिया में भागीदार और लीडर (अप्रत्यक्ष कर) गुंजन प्रभाकरण ने कहा, ‘‘बीते पांच वर्षों में जीएसटी कानून विकसित हुआ है और करदाताओं को आने वाली कई परेशानियों को समयबद्ध स्पष्टीकरण और संशोधनों के जरिये दूर किया गया।’’
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स में वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा, ‘‘पांच साल में जीएसटी कानून तेज गति से विकसित हुआ है। अब ऐसा लगता है कि यह कानून नए चरण में प्रवेश कर चुका है जहां मुकदमेबाजी को कम से कम करना होगा।’’