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लोकसभा में पास हुआ वित्त विधेयक 2024, राजकोषीय घाटे पर उठे सवाल

चौधरी ने कहा कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद सरकार ने उपयुक्त प्रावधानों के अतिरिक्त और किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करते हुए अंतरिम बजट के माध्यम से देश के विकास को प्राथमिकता दी है।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Feb 07, 2024 23:10 IST, Updated : Feb 07, 2024 23:10 IST
वित्त विधेयक 2024- India TV Paisa
Photo:FILE वित्त विधेयक 2024

लोकसभा ने बुधवार को वित्त विधेयक, 2024 को मंजूरी प्रदान कर दी। सदन ने चर्चा और वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के जवाब के बाद ‘वित्त विधेयक, 2024’ को ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की। चौधरी ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि आयकर की दरों में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि लगभग एक करोड़ प्रत्यक्ष करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए 2009-10 की 25,000 रुपये और 2010-11 से 2014-15 तक की 10,000 रुपये की लंबित प्रत्यक्ष कर मांग को वापस लिया जाएगा। चौधरी ने कहा कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद सरकार ने उपयुक्त प्रावधानों के अतिरिक्त और किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करते हुए अंतरिम बजट के माध्यम से देश के विकास को प्राथमिकता दी है। साथ ही साल 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने की यात्रा में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव पार किया है।

राजकोषीय घाटे पर हुई चर्चा

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि 2020-21 के बाद से राजकोषीय घाटा उच्चतम स्तर पर चला गया है। तिवारी ने कहा, ‘‘2015 में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2.4 हजार अरब डॉलर था तथा कुल कर्ज 55.87 लाख करोड़ रुपये था। अब जब अर्थव्यवस्था का आकार 3.75 हजार अरब डॉलर है तो सरकार का कर्ज 168 लाख करोड़ रुपये हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह कर्ज कोई अच्छी बात है? यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भार है।’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कर्ज लेने से प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कर में कटौती के कारण सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पूंजी व्यय से अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो इसका आकलन करना होगा कि पूंजीपतियों को कर में दी गई रियायत से क्या लाभ हुआ है।

मनीष तिवारी ने उठाए सवाल

तिवारी ने कहा, ‘‘हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है, लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि रोजगार का क्या हो रहा है।’’ भाजपा के सुभाष चंद्र बहेड़िया ने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद कर व्यवस्था में सुधार हुआ और करदाताओं की संख्या बहुत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में टैक्स फाइल करने की व्यवस्था का सरलीकरण हुआ है। बहेड़िया ने कहा कि जीएसटी लागू होने से लोगों को कई प्रकार के करों के झंझट से मुक्ति मिली है तथा सरकार का राजस्व भी बढ़ा है।

टैक्स कलेक्शन में हुआ है इजाफा

कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि किसानों के साथ सरकार को बातचीत करनी चाहिए और उनका कर्ज माफ किया जाना चाहिए। भाजपा की सुनीता दुग्गल ने कहा कि सरकार के प्रयासों से कर संग्रह बढ़ गया है और करदाताओं की संख्या बढ़ गई है। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार से अंतरिम बजट में करों में और राहत की अपेक्षा थी, लेकिन सरकार ने आम आदमी को कोई राहत नहीं दी है। चौधरी ने कहा कि सरकार को प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर उसकी जगह जूट के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए जिसे ‘गोल्डन फाइबर’ कहा जाता है।

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