Tuesday, November 19, 2024
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चिंताजनक! भारत की 30% भूमि की उर्वरता हो रही प्रभावित, कृषि मंत्री ने कहा-तत्काल उपाय करने की है जरूरत

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि भारत की करीब 30 प्रतिशत भूमि की गुणवत्ता बढ़ती उर्वरक खपत, उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और गलत मृदा प्रबंधन प्रथाओं के कारण कम होती जा रही है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: November 19, 2024 15:00 IST
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान।- India TV Paisa
Photo:FILE कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान।

देश में 30 प्रतिशत भूमि की उर्वरता खराब हो रही है। मिट्टी की खराब होती क्षमता चिंताजनक है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को यह बात कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टिकाऊ खेती के वास्ते मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तत्काल उपाय करने की जरूरत है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, मृदा’ पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए चौहान ने कहा कि भुखमरी को समाप्त करने, जलवायु कार्रवाई तथा भूमि पर जीवन से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए मृदा की गुणवत्ता में सुधार करना जरूरी है।

50 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहा भारत

खबर के मुताबिक, चौहान ने कहा कि हम हर साल 33 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्नों का उत्पादन कर रहे हैं और 50 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहे हैं। हालांकि, यह सफलता चिंता के साथ आई है, विशेष रूप से मृदा गुणवत्ता के संबंध में। चौहान ने बताया कि भारत की करीब 30 प्रतिशत भूमि की गुणवत्ता बढ़ती उर्वरक खपत, उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और गलत मृदा प्रबंधन प्रथाओं के कारण कम होती जा रही है।

22 करोड़ से ज्यादा मृदा गुणवत्ता कार्ड बांटने की बात

शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को 22 करोड़ से ज्यादा मृदा गुणवत्ता कार्ड बांटने और सूक्ष्म सिंचाई, जैविक और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने सहित विभिन्न सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिक केंद्रित प्रयासों की जरूरत है, खासकर बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों को देखते हुए। चौहान ने कहा कि वैज्ञानिकों तथा किसानों के बीच की खाई को पाटने के लिए जल्द ही आधुनिक कृषि पर एक नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

बड़े पैमाने पर समाधान की है जरूरत

इसी मौके पर मौजूद नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में संरक्षित कृषि व जुताई रहित विधियों के सफल कार्यान्वयन के बावजूद भारत और दक्षिण एशिया में इन्हें सीमित रूप से अपनाए जाने पर सवाल उठाया। चंद ने कहा कि हालांकि कुछ गैर सरकारी संगठन और निजी कंपनियां पुनर्योजी कृषि तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, लेकिन इन पहलों का दायरा सीमित है। उन्होंने भारतीय मृदा वैज्ञानिक सोसायटी (आईएसएसएस) से बड़े पैमाने पर समाधान की अगुवाई करने का आह्वान किया।

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