Global Inflation: भारत धीरे-धीरे ग्लोबल सुपर पावर के तरफ बढ़ता जा रहा है। आज के समय में हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। विश्व के लगभग सभी देश इंडिया के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। ग्लोबल मसले पर अब दुनिया भारत के रूख का इंतजार करती है। हाल ही में भारत सरकार के चावल एक्सपोर्ट बैन के फैसले से दुनिया के कई देशों में भुचाल आ गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि वह भारत को चावल की एक निश्चित श्रेणी के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने के लिए प्रोत्साहित करेगा, क्योंकि इससे वैश्विक महंगाई पर असर पड़ सकता है। भारत सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई को प्रतिबंध लगा दिया था। खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि गैर-बासमती उसना चावल और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। कुल निर्यात में दोनों किस्मों का हिस्सा बड़ा है।
गैर-बासमती सफेद चावल की 25% हिस्सेदारी
देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मौजूदा स्थिति में इस प्रकार के प्रतिबंधों से बाकी दुनिया में खाद्य कीमतों में अस्थिरता पैदा होने की आशंका है और इसके बाद बाकी देश भी बदले में कोई कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इसलिए हम भारत को निर्यात पर इस प्रकार से प्रतिबंध हटाने के लिए निश्चित ही प्रोत्साहित करेंगे, क्योंकि इनसे दुनिया पर हानिकारक असर पड़ सकता है। भारत से गैर-बासमती सफेद चावल मुख्य रूप से थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और अमेरिका में निर्यात होता है।
बासमती चावल भारत ने क्यों लगाया प्रतिबंध?
चावल की घरेलू कीमतें बढ़ती जा रही है। खुदरा कीमतों में एक साल में 11.5% और पिछले महीने में 3% की वृद्धि हुई है। सरकार ने कहा कि निर्यात प्रतिबंध का उद्देश्य भारतीय बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना और घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि को कम करना था। उत्तर में चावल उत्पादक राज्यों में भारी मानसूनी बारिश और देश के अन्य हिस्सों में कम बारिश जैसे अप्रत्याशित मौसम परिवर्तनों के कारण देश में चावल उत्पादन प्रभावित हुआ था। पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में नई बोई गई फसलों को नुकसान हुआ है और कई किसानों को दोबारा रोपाई करनी पड़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, चावल उगाने वाले अन्य राज्यों में किसानों ने धान की नर्सरी तैयार कर ली है, लेकिन अपर्याप्त वर्षा के कारण रोपाई नहीं कर पा रहे हैं।
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