कोरोना संकट के बाद देश एक बार फिर से खड़ा हो रहा है। इसकी एक झलक देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बढ़ते आकार को देखकर साफ पता चलता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश के मेन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विदेशी निवेश में जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है। 2021-22 में सालाना आधार पर एफडीआई में 76 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। इसके साथ ही एफडीआई का आंकड़ा बढ़कर 21.34 अरब डॉलर पहुंच गया है।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने बीमा, रक्षा, दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं, दवा उद्योग, खुदरा व्यापार और ई-वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में एफडीआई नीति व्यवस्था के तहत कई सुधारों को लागू किया है।
एक साल में आई 76% की ग्रोथ
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2021-22 में विनिर्माण क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 76 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 21.34 अरब डॉलर रहा। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में यह 12.09 अरब अमेरिकी डॉलर था।’’ मंत्रालय ने कहा कि कोविड महामारी और वैश्विक घटनाक्रमों के बावजूद 2021-22 में भारत को 84.83 अरब डॉलर का सर्वाधिक वार्षिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है।
सिर्फ 5 देशों से 65 प्रतिशत निवेश
देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में सिर्फ 5 बड़े देशों से 65 प्रतिशत एफडीआई प्राप्त होता है। इन देशों में सबसे आगे सिंगापुर है, जहां से करीब एक तिहाई निवेश प्राप्त होता है। वहीं 17 प्रतिशत के निवेश के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर है।
रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश 27% घटा
भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में संस्थागत निवेश चालू कैलेंडर साल की अप्रैल जून तिमाही में 27 प्रतिशत घटकर 96.6 करोड़ डॉलर पर आ गया। जेएलएल इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आर्थिक और भू.राजनैतिक संकट के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र में संस्थागत निवेश घटा है। इससे पिछले वर्ष की इसी अवधि में घरेलू रियल एस्टेट क्षेत्र में 132.9 करोड़ डॉलर का संस्थागत निवेश आया था। आंकड़ों के अनुसार, रियल एस्टेट की कार्यालय श्रेणी में संस्थागत निवेश अप्रैल जून, 2022 के दौरान बढ़कर 65.2 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया। एक साल पहले की इसी अवधि में यह 23.1 करोड़ डॉलर था। वहीं, इकाई स्तर और वैकल्पिक संपत्ति ;डेटा सेंटर में 2022 की दूसरी तिमाही में संस्थागत निवेश क्रमश, 11 करोड़ डॉलर और 6.4 करोड़ डॉलर रहा। एक साल पहले की इसी तिमाही में यह शून्य था।