चालू वित्त वर्ष 2024-2025 की पहली तिमाही के दौरान सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने में महाराष्ट्र टॉप पर रहा है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के मुताबिक, महाराष्ट्र दूसरे राज्यों के बीच नंबर एक स्थान पर बना हुआ है, क्योंकि अप्रैल से जून 2024-25 की पहली तिमाही में उसे 70,795 करोड़ रुपये का एफडीआई प्राप्त हुआ है। IANS की खबर के मुताबिक, पड़ोसी राज्य कर्नाटक 19,059 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करके दूसरे स्थान पर रहा।
दिल्ली तीसरे और गुजरात पांचवें नंबर पर
खबर के मुताबिक, दिल्ली 10,788 करोड़ रुपये के साथ तीसरे, तेलंगाना 9,023 करोड़ रुपये के साथ चौथे, गुजरात 8,508 करोड़ रुपये के साथ पांचवें, तमिलनाडु 5,818 करोड़ रुपये के साथ छठे, उत्तर प्रदेश 370 करोड़ रुपये के साथ आठवें और राजस्थान 311 करोड़ रुपये के साथ नौवें स्थान पर रहा। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया- महाराष्ट्र को बधाई! बहुत खुशखबरी!! देश में कुल निवेश का 52.46 प्रतिशत सिर्फ महाराष्ट्र में विदेशी निवेश!!!" उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र द्वारा आकर्षित किया गया निवेश सबसे अधिक है और अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है।
देश में कुल निवेश
फडणवीस ने कहा कि संक्षेप में, इस तिमाही के दौरान देश में कुल निवेश 1,34,959 करोड़ रुपये है, जिसमें से 70,795 करोड़ रुपये या 52.46 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र में रिपोर्ट किया गया है," फडणवीस ने कहा। भाजपा नेता ने कहा कि महाराष्ट्र को 2023-24 में 12,35,101 करोड़ रुपये का एफडीआई मिला है, जो गुजरात और गुजरात और कर्नाटक के संयुक्त निवेश से भी अधिक है। इसके अलावा, महाराष्ट्र ने 2022-23 में 1,18,422 करोड़ रुपये का एफडीआई आकर्षित किया है जो कर्नाटक, दिल्ली और गुजरात के संयुक्त निवेश से भी अधिक है।
2014 से 2019 तक कितना निवेश
फडणवीस ने कहा कि 2014 से 2019 तक उनके मुख्यमंत्रित्व काल में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान महाराष्ट्र में कुल 3,62,161 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया।
डीपीआईआईटी के आंकड़े महायुति सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आए हैं, खासकर तब जब महा विकास अघाड़ी अपने शासन के दौरान गुजरात और अन्य राज्यों में पूंजी और निवेश के पलायन को लेकर सरकार पर हमले तेज कर रहा है।
एमवीए की आलोचना का कारण 1.80 लाख करोड़ रुपये की वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना, टाटा एयरबस विनिर्माण संयंत्र, गेल की मध्य प्रदेश के सीहोर में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश से निर्मित 1.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाली इथेन क्रैकिंग इकाई का अन्य राज्यों को नुकसान होना था।