Highlights
- हरियाणा सरकार ने 7 जिलों के किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मदद देने की घोषणा की है
- यह मदद झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, हिसार और नूंह के किसानों को मिलेगी
- इसके लिए शर्त है कि किसान दलहन और तिलहन की फसल उगाते हों
Farmer Benefits: लगातार बंजर होती जमीन को लेकर देश की कई सरकारें फिक्रमंद हैं। हरियाणा की सरकार भी किसानों को धान या गेहूं के अलावा दूसरी फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इस बीच राज्य की सरकार ने राज्य के 7 कृषि प्रधान जिलों में दलहन और तिलहन की फसल उगाने के लिए प्रोत्साहन देने का फैसला किया है। सरकार ने कहा है कि जो किसान दलहन और तिलहन उगाएंगे उन्हें प्रति एकड़ 4000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
इन 7 जिलों के किसानों को मिलेगा फायदा
हरियाणा सरकार ने रविवार को कहा कि वह राज्य के सात जिलों में दलहन और तिलहन की फसल उगाने वाले किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता देगी। यह योजना दक्षिण हरियाणा के सात जिलों - झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, हिसार और नूंह में किसानों के लिए खरीफ 2022 सत्र के दौरान लागू की जाएगी।
फसलों का विविधिकरण है सरकार का लक्ष्य
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार किसानों की लागत कम करके उनकी आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। फसल विविधीकरण के प्रयासों के तहत दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह योजना शुरू की है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दी जाएगी।
निजी कारोबारियों को गेहूं बेच किसान हुए मालामाल
गेहूं की फसल सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेचने के बजाय अधिक दाम पर निजी व्यापारियों के हाथों बेचना किसानों के लिए फायदेमंद रहा है। निजी व्यापारियों को गेंहू की बिक्री करने पर किसानों को इस बार लगभग 5,994 करोड़ रुपए की मुनाफा हुआ है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि किसानों ने कथित तौर पर अपनी उपज 2,150 रुपए प्रति क्विंटल की औसत दर से बेची है। एमएसपी मूल्य की तुलना में खुले बाजार में बेचने से किसानों की अधिक कमाई हुई है।
किसानों ने बेचा 444 टन गेहूं
मंत्रालय ने बताया कि इस साल किसानों ने 444 लाख टन गेंहू बेचा है। इस हिसाब से किसानों ने औसतन 2,150 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 95,460 करोड़ रुपए कमाए हैं। यदि यही फसल किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेचता तो उसे 2015 रुपए प्रति क्विन्टल की दर से बेचना पड़ता। ऐसे में उनका व्यापार कुल 89466 करोड़ रुपए का होता। इस प्रकार किसानों को एमएसपी की तुलना में कुल मिलाकर 5,994 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ हुआ है।