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Explainer: पेट्रोल हो सकता है 20 रुपये तक सस्ता, GST में शामिल होते ही जानिए कैसे बदलेगा टैक्स का पूरा गणित

पेट्रोल डीजल को जीएसटी में लाने पर भाजपा सांसद सुशील मोदी कह चुके हैं कि इससे राज्यों को सामूहिक रूप से 2 लाख करोड़ का सालाना नुकसान होगा।

Edited by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: June 28, 2022 15:10 IST
Petrol Diesel- India TV Paisa

Petrol Diesel

Highlights

  • जीएसटी काउंसिल (GST Council) दो दिवसीय बैठक में पेट्रोल डीजल को जीएसटी में लाने पर चर्चा कर सकती है
  • पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने से केंद्र और राज्य को 4.10 लाख करोड़ का नुक़सान होगा
  • भरपाई करने के लिए 28 फ़ीसदी जीएसटी के अलावा सरचार्ज का विकल्प

सोचिए कि बुधवार को देश में पेट्रोल के दाम अचानक 20 रुपये घट जाएं। 96 रुपये में मिल रहा पेट्रोल आपको 76 रुपये में मिलने लगे। चौंकिए नहीं, ये उस स्थिति में संभव है जब पेट्रोल और डीजल को सरकार जीएसटी के दायरे में लाया जाए। देश में वस्तु एवं सेवा कर यानि GST की सर्वोच्च संस्था यानि जीएसटी काउंसिल (GST Council) की एक अहम बैठक मंगलवार 28 जून से चंडीगढ़ में शुरू हुई हैै। इस दो दिवसीय बैठक में काउंसिल जीएसटी की दरों में बदलाव पर चर्चा कर सकती है।

लेकिन काउंसिल में सबसे ज्यादा चर्चा ​पेट्रोल डीजल को लेकर है। कीमतों को लेकर त्राहि त्राहि कर रही आम जनता से लेकर अर्थशास्त्री तक पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो दिल्ली में जहां पेट्रोल पर इस समय जनता 36.61 रुपये की एक्साइज ड्यूटी और वैट भर रही है, वह घटकर 16 रुपये पर आ सकती है, यानि ग्राहकों की चांदी ही चांदी। लेकिन जानकारों की मानें तो बीती कई काउंसिल बैठक की तरह ही इस बार भी इस पेट्रोल डीजल पर चर्चा की संभावना कम ही है। 

पहले जीएसटी को लेकर नीति निर्धारकों के बयान पढ़ लेते हैं

जीएसटी परिषद की बैठक के पहले पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल करने की संभावना जताई है। उन्होंने इस बात की वकालत की है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाना संभव होगा। 

पेट्रोल डीजल को जीएसटी में लाने पर भाजपा सांसद सुशील मोदी कह चुके हैं कि इससे राज्यों को सामूहिक रूप से 2 लाख करोड़ का सालाना नुकसान होगा।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो केंद्र सरकार को खुशी होगी। लेकिन राज्य ऐसा नहीं करना चाहते हैं। 

यदि पेट्रोल GST में शामिल हुआ तो?

Petrol Price Breakup
Image Source : FILE
Petrol Price Breakup

पेट्रोल पर टैक्स- केंद्र-राज्य के लिए कितना फ़ायदेमंद?

ये जानना ज़रूरी है कि केंद्र और राज्य सरकार की जेब में पेट्रोल-डीज़ल के दाम का कितना हिस्सा जाता है। 28 जून 2022 को इंडियन ऑयल के पेट्रोल का दाम राजधानी दिल्ली में 96.72 रुपए प्रति लीटर हैं। इसमें 19.90 रुपए प्रति लीटर की एक्साइज़ ड्यूटी और 15.71 रुपए प्रति लीटर का वैट जोड़ा गया। साथ में 3.78 रुपए प्रति लीटर का डीलर कमीशन शामिल है। आंकड़ों की बात करें तो सरकार हर साल करीब 4 लाख करोड़ पेट्रोल डीजल से कमाती है। 

टैक्स न मिला तो कैसे पूरी होंगी योजनाएं 

एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में सालाना 10-11 हज़ार करोड़ लीटर डीज़ल बिकता है और 3-4 हज़ार करोड़ लीटर का पेट्रोल को मिला कर तकरीबन 14 हज़ार करोड़ लीटर का डीज़ल-पेट्रोल बिकता है। पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने से केंद्र और राज्य को 4.10 लाख करोड़ का नुक़सान होगा। इस नुक़सान की भरपाई करना मुश्किल होगी। केंद्र सरकार को अभी मुफ़्त कोरोना टीकाकरण, मुफ़्त राशन और बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए काफ़ी रकम की ज़रूर है। ऐसे में ये योजनाएं अटक सकती हैं।

GST Collection

Image Source : FILE
GST Collection
 

नुकसान की भरपाई के हैं ये दो विकल्प 

  • इस कमाई की भरपाई करने के लिए 28 फ़ीसदी जीएसटी के अलावा सरचार्ज लगा दिया जाए। लग्ज़री कारों पर केंद्र सरकार सरचार्ज भी वसूलती है। ऐसे में कीमतें अनुमान से अधिक होंगे।
  • केंद्र सरकार जीएसटी के बाद भी एक्साइज ड्यूटी लगाए और उससे होने वाली आमदनी को केंद्र और राज्य सरकार बाँट ले। इसके लिए दोनों सरकारों को इस फ़ॉर्मूले पर राज़ी होना होगा।

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