Highlights
- इससे इन खनिजों का आयात घटेगा और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे
- मंत्रिमंडल की इस मंजूरी से इन खनिजों के भंडार की नीलामी हो पाएगी
- कई राज्य सरकारों ने नीलामी के लिए ऐसे खनिज ब्लॉकों की पहचान की है
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर स्पष्ट करने के लिये खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इससे इन खनिजों के भंडार की नीलामी का रास्ता साफ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लैटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिब्डेनम जैसे कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर स्पष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल की इस मंजूरी से इन खनिजों के भंडार की नीलामी हो पाएगी। इससे इन खनिजों का आयात घटेगा और साथ ही खनन क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
आयात पर निर्भरता कम होगी
इस मंजूरी से अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी इन खनिजों के आयात का घरेलू विकल्प भी तैयार होगा। इस तरह मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत होगी। इन खनिजों के स्थानीय उत्पादन से दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी। खनिज रियायतों के नये दौर में आगे बढ़ने के लिये इस अधिनियम में वर्ष 2015 में संशोधन किया गया था। देश की खनिज संपदा के आवंटन में पारदर्शिता और भेदभाव-रहित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए नीलामी का तरीका अपनाया गया था। खनिज क्षेत्र में और तेजी लाने के लिये इस अधिनियम को वर्ष 2021 में फिर संशोधित किया गया। इस दौरान सरकार ने खनिज भंडार की नीलामी को बढ़ावा दिया, उत्पादन में बढ़ोतरी की, देश में व्यापार सुगमता में सुधार किया और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनिज उत्पादन का योगदान बढ़ाया।
इन खनीजों के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर
ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लैटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिब्डेनम के मामले में देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिये पूरी तरह आयात पर निर्भर है। खनिज आत्मनिर्भरता के लिये कई राज्य सरकारों ने नीलामी के लिए ऐसे खनिज ब्लॉकों की पहचान की है। खान मंत्रालय ने नीलामी में भागीदारी बढ़ाने के लिये रॉयल्टी की तर्कसंगत दर का प्रस्ताव रखा था जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के साथ विस्तृत परामर्श करने के बाद इन दरों को तय किया गया है। खान मंत्रालय इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना की पद्धति प्रदान करेगा, जो इन खनिज ब्लॉकों की नीलामी शुरू करने के लिये जरूरी है।