Thursday, January 02, 2025
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प्राइवेट बैंकों में धड़ाधड़ नौकरी छोड़ रहे कर्मचारी, Attrition Rate 25% उछला, जानें क्या है वजह

प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में कर्मचारी तेजी से नौकरी छोड़ या बदल रहे हैं। आरबीआई का कहना है कि इस प्रवृति से बैंकों का कामकाज प्रभावित होगा। इस पर काम करने की जरूरत है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 30, 2024 7:15 IST, Updated : Dec 30, 2024 7:15 IST
Private Bank
Photo:FILE प्राइवेट बैंक

बैंक में सुकून की नौकरी मानी जाती है, लेकिन यह प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के साथ नहीं है। काम के बहुत ज्यादा प्रेशर के कारण प्राइवेट सेक्टर में नौकरी छोड़ने वालों की दर (Attrition Rate) में 25% का बड़ा उछाल आया है। प्राइवेट बैंक में धड़ाधड़ नौकरी छोड़ने से बैंकों का काम काज प्रभावित हो रहा है। भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर नवीनतम रिपोर्ट 2023-24 से यह जानकारी मिली है।  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनिंदा प्राइवेट सेक्टर के बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों (एसएफबी) में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर अधिक है। 

रिजर्व बैंक ने दिया निर्देश 

रिपोर्ट कहती है कि 2023-24 के दौरान निजी बैंकों के कर्मचारियों की कुल संख्या सरकारी बैंकों (पीएसबी) से अधिक हो जाएगी, लेकिन पिछले तीन वर्षों में उनके कर्मचारियों के नौकरी बदलने की दर में तेजी से वृद्धि हुई है, और यह औसतन लगभग 25 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसमें कहा गया कि इस तरह की स्थिति महत्वपूर्ण परिचालन जोखिम पैदा करती है, जिसमें ग्राहक सेवाओं में व्यवधान शामिल है। इसके अलावा संस्थागत ज्ञान की हानि और भर्ती लागत में वृद्धि होती है। बैंकों के साथ बातचीत में रिजर्व बैंक ने जोर दिया है कि कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति को कम करना सिर्फ मानव संसाधन का काम नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक जरूरत है। इसमें कहा गया है कि बैंकों को दीर्घकालिक कर्मचारी जुड़ाव बनाने के लिए बेहतर जुड़ाव प्रक्रिया, व्यापक प्रशिक्षण और करियर ग्रोथ्ज्ञ के अवसर प्रदान करना, संरक्षण कार्यक्रम, प्रतिस्पर्धी लाभ और सहायक कार्यस्थल संस्कृति जैसी रणनीतियों को लागू करने की आवश्यकता है। 

गोल्ड लोन पर भी आरबीआई सख्त

इसके अलावा सोने के आभूषणों और आभूषणों के बदले कर्ज देने में पाई गई कई अनियमितताओं के मद्देनजर (टॉप-अप ऋण भी शामिल) भारतीय रिजर्व बैंक ने निगरानी वाली इकाइयों को सलाह दी है कि वे गोल्ड लोन पर अपनी नीतियों, प्रक्रियाओं और व्यवहार की व्यापक समीक्षा करें, ताकि खामियों की पहचान की जा सके और समयबद्ध तरीके से उचित सुधारात्मक उपाय शुरू किए जा सकें। 

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