Highlights
- बिजली संकट के बीच सरकार ने इमरजेंसी कानून लागू करने का फैसला किया
- विदेशी कोयले पर चलने वाले पावर प्लांट्स में फिर से शुरू करने के लिए कहा है
- ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों की वजह से बंद पावर प्लांट्स भी बिजली का उत्पादन कर पाएंगे
देशभर में जारी बिजली संकट के बीच सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए इमरजेंसी कानून लागू करने का फैसला किया है। केंद्र ने विदेशी कोयले पर चलने वाले कुछ निष्क्रिय पावर प्लांट्स में फिर से प्रोडक्शन शुरू करने के लिए कहा है। इस फैसले के बाद कोयले की ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों की वजह से प्रोडक्शन न कर पा रहे पावर प्लांट्स भी बिजली का उत्पादन कर पाएंगे।
बिजली मंत्रालय ने सभी आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने का निर्देश दिया है। तापीय बिजलीघरों में कोयले की कमी और इससे बिजली उत्पादन प्रभावित होने के बीच यह निर्देश दिया गया है।
मंत्रालय के इस संदर्भ में बृहस्पतिवार को जारी कार्यालय आदेश के अनुसार यह पाया गया है कि ज्यादातर राज्यों ने आयातित कोयले की ऊंची लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने की अनुमति दी है। इससे आयातित कोयले पर आधारित कुल 17,600 मेगावॉट क्षमता में से 10,000 मेगावॉट क्षमता की इकाइयों को चालू करने में मदद मिली है।
मंत्रालय ने कहा कि हालांकि कुछ आयातित कोयला आधारित संयंत्र अभी भी परिचालन में नहीं है। बिजली मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम की धारा 11 के तहत निर्देश जारी किया है। इसके तहत निर्देश दिया गया है कि सभी आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र पूर्ण क्षमता के साथ परिचालन और बिजली उत्पादन करेंगे।
आयातित कोयला आधारित संयंत्र अगर दिवाला कार्यवाही के अंतर्गत हैं, तो समाधान पेशेवर उसे चालू करने के लिये कदम उठाएंगे। ये संयंत्र सबसे पहले पीपीए (बिजली खरीद समझौता) धारकों (वितरण कंपनियां) को बिजली की आपूर्ति करेंगे। मंत्रालय ने कहा कि उसके बाद कोई अतिरिक्त बिजली या कोई भी बिजली, जिसके लिए कोई पीपीए नहीं है, उसे बिजली एक्सचेंज में बेचा जाएगा।
ऐसे संयंत्र, जिन्होंने कई कई डिस्कॉम के साथ पीपीए किए हैं, और बिजली खरीद की मात्रा निर्धारित नहीं है, वहां बिजली पहले अन्य पीपीए धारकों को दी जाएगी और उसके बाद बाकी बची बिजली को एक्सचेंज के जरिए बेचा जाएगा। इस समय पीपीए के तहत आयातित महंगे कोयले की लागत का बोझ आगे नहीं बढ़ाया जाता है। इन मामलों में बिजली मंत्रालय द्वारा गठित समिति तय करेगी कि वितरण कंपनियों को किस दर पर बिजली की आपूर्ति की जाए।
इस समिति में सीईए (केंद्रीय बिजली प्राधिकरण) और सीईआरसी (केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग) के प्रतिनिधि भी होंगे। आधिकारिक आदेश में कहा गया कि यह समिति सुनिश्चित करेगी कि बिजली की मानक दरें, बिजली पैदा करने के लिए आयातित कोयले की लागत के अनुरूप हों। यह आदेश 31 अक्टूबर 2022 तक वैध रहेगा।
मंत्रालय ने कहा कि बिजली की मांग में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और घरेलू कोयले की आपूर्ति में वृद्धि हुई है, लेकिन आपूर्ति में वृद्धि बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मंत्रालय ने कहा, मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण विभिन्न क्षेत्रों में बिजली कटौती हो रही है।
बिजली संयंत्र में कोयले के भंडार में भी कमी आई है, जो चिंताजनक दर से घट रहा है। कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमत अभूतपूर्व ढंग से बढ़ी है। यह इस समय यह लगभग 140 अमेरिकी डॉलर प्रति टन है।