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10% बढ़ेंगे बिजली के दाम! 'रेल-जहाज-रेल' सिस्टम से इन राज्यों के पावरप्लांटों की होगी 'बत्ती गुल'

पिछले साल की पहल तिमाही में देश में गंभीर कोयला संकट पैदा हो गया था। देश के विभिन्न हिस्सों में कोयला परिवहन को लेकर गंभीर समस्याएं पैदा हुई थी। यहां पता चला कि सिर्फ रेल पर निर्भर रहते हुए कोयला पहुंचाने में कई समस्या हैं।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: January 15, 2023 14:20 IST
Power Crisis- India TV Paisa
Photo:FILE Power Crisis

नए साल में आपको महंगाई का एक बड़ा झटका लग सकता है। देश में कोयला परिवहन से जुड़े नियमों में बदलाव के चलते आपके घर पर आने वाली बिजली की कीमतें बढ़ सकती हैं। दरअसल सरकार ने बिजली संयंत्र की कोयले की जरूरत का पांचवां हिस्सा 'रेल-जहाज-रेल' प्रणाली के जरिए परिवहन करने की अनिवार्यता से आपके कुल बिजली बिल में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है।

अंग्रेजी अखबार इकोनोमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार बिजली मंत्रालय ने सोमवार को गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब के साथ-साथ एनटीपीसी को अपनी कोयले की आवश्यकता का 10-15% परिवहन भूमि और समुद्री मार्ग के संयोजन के माध्यम से करने के लिए कहा था। परिवहन की इस प्रणाली को रेल-जहाज-रेल मोड भी कहा जाता है। अब यही प्रणाली कीमतें बढ़नेका कारण भी बनने जा रही हैं। 

सरकार क्यों अपना रही है ये प्रणाली

पिछले साल की पहल तिमाही में देश में गंभीर कोयला संकट पैदा हो गया था। देश के विभिन्न हिस्सों में कोयला परिवहन को लेकर गंभीर समस्याएं पैदा हुई थी। यहां पता चला कि सिर्फ रेल पर निर्भर रहते हुए कोयला पहुंचाने में कई समस्या हैं। इस साल अप्रैल और मई में भी कोयले की मांग बढ़ने की संभावना है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार परिवहन के इस नए मॉडल पर काम कर रही है। 

आयातित कोयले से फिर भी सस्ता 

रेल-जहाज-रेल मोड को भले ही मौजूदा रेल परिवहन के मुकाबले 10 प्रतिशत महंगा माना जा रहा है। लेकिन यह तरीका इसके बावजूद आयातित कोयले से सस्ता है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि मौजूदा प्रणाली से बिजली उत्पादन की लागत 4 रुपये प्रति यूनिट है तो रेल-जहाज-रेल मोड से यह लागत 4.4 रुपये होगी। वहीं यदि पावर प्लांट आयातित कोयले का प्रयोग करते हैं तो इसकी लागत 5 रुपये यूनिट होगी, जो कि मौजूदा लागत के मुकाबले काफी ज्यादा है। 

कैसे होगा कोयले का परिवहन 

रेल-जहाज-रेल मोड के तहत पूर्वी भारत में कोल इंडिया की खदानों से कोयला पारादीप पोर्ट पहुंचेगा। यहां से जहाजों के माध्यम से कोयला पश्चिमी भारत के बंदरगाहों से उतारकर रेल के माध्यम से पावर प्लांटों को भेजा जाएगा। इससे मौजूदा डायरेक्ट रेल नेटवर्क के मुकाबले ज्यादा समय और पैसा लगेगा। लेकिन इससे मौजूदा रेल नेटवर्क पर दबाव कम होगा। 

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