Highlights
- डेयरी के स्वामित्व वाली धारा ने एक महीने में दूसरी बार कीमतों में कटौती की है
- सोयाबीन और राइस ब्रान तेल की कीमतों में 14 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती
- सोयाबीन तेल 194 रुपये प्रति लीटर की तुलना में 180 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा
Edible Oil Price Cut: आम लोगों को महंगाई से बड़ी राहत मिली है। खाने के तेल की कीमतों में कमी को लेकर सरकार की कोशिशों का असर दिखने लगा है। खाने के रिफाइंड तेल बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी धारा ने एक महीने में दूसरी बार कीमतों में कटौती की है। मदर डेयरी के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने सोयाबीन और राइस ब्रान तेल की कीमतों में 14 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की है।
मदर डेयरी ने यह कटौती तेल कंपनियों को खाद्य तेलों के वैश्विक कीमतों में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को देने के सरकारी निर्देश के एक दिन बाद की है। मदर डेयरी एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सरकार के हस्तक्षेप के बाद उपभोक्ताओं को तेल कीमतों में आई गिरावट का लाभ देते हुए हमने धारा सोयाबीन तेल और धारा राइसब्रान (चावल भूसी) तेल के एमआरपी को 14 रुपये प्रति लीटर तक कम कर दिया है। नई कीमतों वाले उत्पाद अगले सप्ताह तक बाजार में उपलब्ध होंगे।’’
ये हैं नई कीमतें
कीमतों में कटौती के बाद धारा रिफाइंड सोयाबीन तेल (पॉली पैक) 194 रुपये प्रति लीटर की मौजूदा कीमत की तुलना में 180 रुपये प्रति लीटर में उपलब्ध होगा। धारा रिफाइंड राइस ब्रान (पॉली पैक) तेल के मामले में कीमत 194 रुपये प्रति लीटर से घटकर 185 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। कंपनी को अगले 15-20 दिनों में सूरजमुखी तेल के एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) में कमी होने की उम्मीद है।
16 जून को हुई थी कीमतों में कमी
मदर डेयरी ने 16 जून को वैश्विक बाजारों में कीमतों में नरमी आने के साथ अपने खाद्य तेलों की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कमी की थी। तब धारा ने सरसों के तेल के दाम 208 रुपये से घटाकर 194 रुपये कर दिए थे। इसके अलावा सोयाबीन रिफाइंड और सूरजमुखी रिफाइंड की कीमतों में भी कटौती कर इनके दाम 194 रुपये प्रति लीटर कर दिए गए थे।
60 प्रतिशत तेल इंपोर्ट करता है भारत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में उच्च दरों के कारण पिछले एक साल से खाद्य तेल की कीमतें बहुत ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत सालाना लगभग 1.3 करोड़ टन खाद्य तेलों का इंपोर्ट करता है। खाद्य तेलों के लिए देश की इंपोर्ट पर निर्भरता 60 प्रतिशत की है।