Highlights
- इन कंपनियों के छह परिसरों में हुआ तलाशी अभियान
- पिछले 3 वर्षो में 42 फीसदी भारतीयों हुए हैं वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार
- ऑनलाइन Payment App रेजरपे, पेटीएम और कैशफ्री के बेंगलुरु में स्थित ऑफिस पर छापेमारी की जा रही है
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार को कहा कि चीनी नागरिकों के नियंत्रण वाले स्मार्टफोन आधारित ‘गैरकानूनी’ इंस्टेंट ऋण आवंटन के खिलाफ जांच की जा रही है। इसी के सिलसिले में उसके द्वारा ऑनलाइन Payment App रेजरपे (Roger Pay), पेटीएम (Paytm) और कैशफ्री (Cashfree) के बेंगलुरु में स्थित ऑफिस पर छापेमारी की जा रही है।
इन कंपनियों के छह परिसरों में हुआ तलाशी अभियान
सूत्रों के मुताबिक, तलाशी का यह अभियान कर्नाटक की राजधानी में स्थित इन कंपनियों के छह परिसरों में शुक्रवार को शुरू हुआ था और अब भी यह अभियान जारी है। ईडी ने एक बयान में कहा, ‘‘चीन के व्यक्तियों के नियंत्रण या परिचालन वाले रेजरपे प्राइवेट लिमिटेड, कैशफ्री पेमेंट्स, पेटीएम पेमेंट सर्विस लिमिटेड और अन्य कंपनियों में तलाशी की कार्रवाई की गई है।’’
17 करोड़ रुपये जब्त
प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, छापेमारी में चीन के व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित इन कंपनियों के ‘मर्चेंट आईडी और बैंक खातों’ में जमा 17 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं। ये कंपनियां भारतीय नागरिकों के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके उन्हें फर्जी तरीके से निदेशक बनाती हैं जबकि इन कंपनियों का नियंत्रण एवं परिचालन चीन के लोग करते हैं। उसने बताया कि जांच के दायरे में आई ये कंपनियां भुगतान सेवा कंपनियों और बैंकों से जुड़ी मर्चेंट आईटी या खातों का इस्तेमाल करके अपराध का धन जुटा रही थीं और इन कंपनियों ने जो पते दिए थे वे भी फर्जी हैं।
पिछले 3 वर्षो में 42 फीसदी भारतीयों हुए वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार
भुगतान और बैंकिंग के डिजिटलीकरण से निस्संदेह आम लोगों और सरकार दोनों को लाभ हुआ है, लेकिन इससे वित्तीय धोखाधड़ी बढ़ रही है। पिछले तीन वर्षों में लगभग 42 प्रतिशत भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। गुरुवार को एक नई रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षो में, बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण अपना पैसा गंवाने वालों में से केवल 17 प्रतिशत ही अपना धन वापस पाने में सक्षम रहे, जबकि 74 प्रतिशत को कोई समाधान नहीं मिला है।
पहले के एक सर्वेक्षण में लोकलसर्किल ने खुलासा किया कि 29 प्रतिशत नागरिक अपने एटीएम या डेबिट कार्ड पिन विवरण करीबी परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं, जबकि 4 प्रतिशत इसे अपने घरेलू और कार्यालय कर्मचारियों के साथ साझा करते हैं।
11 फीसदी लोग मोबाइल में रखते हैं सेव
सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 33 प्रतिशत नागरिक अपने बैंक खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड और एटीएम पासवर्ड, आधार और पैन नंबर ईमेल या कंप्यूटर पर संग्रहीत करते हैं, जबकि 11 प्रतिशत नागरिकों ने इन विवरणों को अपने मोबाइल फोन संपर्क सूची में संग्रहीत किया है। नए सर्वेक्षण से पता चला है कि बैंक खाता धोखाधड़ी, ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा धोखाधड़ी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड धोखाधड़ी समस्या के प्रमुख कारण थे।