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Economy के मोर्चे पर अच्छी खबर, चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था इतनी फीसदी की दर से बढ़ेगी

Economy: आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 8-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: September 20, 2022 16:45 IST
Indian Economy - India TV Paisa
Photo:PIXABAY Indian Economy

Highlights

  • आर्थिक रफ्तार और जिंदादिली की भावना को लेकर कोई संदेह नहीं
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने इसके 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है
  • कुछ विश्लेषकों ने इसमें आगे चलकर और कमी आने की आशंका जताई है

Economy: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वर ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष (2022-23) में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि जनवरी में वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी। नागेश्वरन ने यहां ग्लोबल फिनटेक फेस्ट समारोह को संबोधित करते हुए आर्थिक वृद्धि दर के पिछले अनुमान से कम रहने की आशंका जताने के साथ ही कहा कि आर्थिक रफ्तार और जिंदादिली की भावना को लेकर कोई संदेह नहीं है।

युद्ध से आर्थिक वृद्धि की दर प्रभावित हो रही

उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटकर सात प्रतिशत के आसपास आ गया हैं।’’ उन्होंने इसके पीछे कोविड महामारी के विलंबित दुष्प्रभावों और यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पैदा हुए हालात को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि इन कारकों से आर्थिक वृद्धि की दर प्रभावित हो रही है। जनवरी के आखिर में पेश आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 8-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक ने इसके 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है। लेकिन कुछ विश्लेषकों ने इसमें आगे चलकर और कमी आने की आशंका जताई है।

वित्तीय समावेशन से वित्तीय सशक्तीकरण पर केंद्रित

हालांकि, नागेश्वर का मानना है कि भारत चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत की वृद्धि दर बनाए रखने में सफल रहेगा। उन्होंने कहा कि इस दशक के बाकी समय में भी भारत सात प्रतिशत की सालाना दर से वृद्धि करने के लिए एकदम माकूल स्थिति में है। उन्होंने कहा कि सरकार अब अपना ध्यान वित्तीय समावेशन से वित्तीय सशक्तीकरण पर केंद्रित कर रही है और चालू दशक में लोगों को कर्ज एवं बीमा जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि धन-प्रेषण पर लगने वाले शुल्क को लगभग शून्य करने के इरादे से सरकार सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की भुगतान प्रणालियों के बीच अंतर-परिचालन क्षमता स्थापित करने में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि इस कदम से विदेश में रहने वाले भारतीय समुदाय को लाभ होगा।

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