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Economic Survey: जरूरी सामान की कीमत काबू में, भारत में दुनिया के मुकाबले खुदरा महंगाई कम

IMF के आंकड़ों के अनुसार, भारत की मुद्रास्फीति दर 2022 और 2023 में वैश्विक औसत और ईएमडीई की तुलना में कम रही।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 22, 2024 13:43 IST
Inflation - India TV Paisa
Photo:ECONOMY SURVEY महंगाई

भारी बारिश के बीच इन दिनों ​सब्जियों के भाव आसमान पर पहुंचे हुए हैं। इसके चलते लोगों के किचन का बजट बढ़ गया है। जून में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.08% पर पहुंच गई है। हालांकि, सरकार का इकोनॉमी सर्वे में कहना है कि देश में जरूरी सामान की कीमत काबू में है। इतना ही नहीं, भारत में दुनिया के मुकाबे खुदरा महंगाई कम है। इकोनॉमी सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी और उसके बाद के भू-राजनीतिक तनावों ने महंगाई के मोर्चे पर काफी चुनौतियां पेश कीं हैं। महामारी के कारण सप्लाई में रुकावट और वैश्विक संघर्षों के कारण वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने भारत को काफी प्रभावित किया। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 22 और वित्त वर्ष 23 में मुख्य उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं में मूल्य दबाव देखा गया। पिछले दो वर्षों में प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण खाद्य कीमतों पर असर पड़ा। इन घटनाक्रमों के चलते वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 24 में महंगाई में वृद्धि हुई थी। 

महंगाई का काबू करने के लिए कदम उठाए गए

हालांकि, सरकार द्वारा विवेकपूर्ण मौद्रिक नीति और कैलिब्रेटेड व्यापार नीति उपायों के साथ-साथ मजबूत उत्पादन वृद्धि ने वित्त वर्ष 24 में मुख्य मुद्रास्फीति को चार साल के निचले स्तर पर लाने में मदद की। सामान्य मानसून की उम्मीद और प्रमुख आयातित वस्तुओं की वैश्विक कीमतों में नरमी भारतीय रिजर्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा भारत के लिए किए गए महंगाई काबू में रहने के अनुमानों को बल देती है। इसके अलावा, मध्यम से दीर्घावधि महंगाई को काबू करने के लिए मूल्य निगरानी तंत्र के साथ-साथ दालों और खाद्य तेलों जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए केंद्रित प्रयासों को बल दिया जाएगा। अभी भारत काफी हद तक आयात पर निर्भर है।

महंगाई को काबू करने के लिए दुनियाभर के बैंकों ने ब्याज दर में बढ़ोतरी की। भारत के केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू करने के लिए कदम उठाएं। इसका असर भी दिखा। IMF के आंकड़ों के अनुसार, भारत की मुद्रास्फीति दर 2022 और 2023 में वैश्विक औसत और ईएमडीई की तुलना में कम रही।

महंगाई लक्ष्य सीमा के भीतर

2023 में भारत की मुद्रास्फीति दर 2 से 6 प्रतिशत के लक्ष्य सीमा के भीतर थी। अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में, भारत में 2021-2023 के त्रैवार्षिक औसत महंगाई में उतार—चढ़ाव सबसे कम था। भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक मांग-आपूर्ति असंतुलन से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत की मुद्रास्फीति दर 2023 में वैश्विक औसत से 1.4 प्रतिशत अंक कम थी। सर्वेक्षण खुदरा मुद्रास्फीति और इसके घटकों के रुझान पर बात करता है। 

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