Friday, September 06, 2024
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खुदरा निवेशक हैं और अधिक रिटर्न की उम्मीद में लगाते हैं पैसा! आर्थिक सर्वेक्षण 2024 की ये रिपोर्ट जरूर पढ़ें

आर्थिक सर्वे के मुताबिक, इक्विटी नकदी खंड कारोबार में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में 35.9 प्रतिशत थी।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: July 22, 2024 17:31 IST
एनएसई में रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 9.2 करोड़ हो गई है। - India TV Paisa
Photo:FILE एनएसई में रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 9.2 करोड़ हो गई है।

आर्थिक समीक्षा 2024 की रिपोर्ट सोमवार को सरकार की तरफ से जारी कर दी गई। आर्थिक सर्वे में शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या को लेकर आगाह करते हुए कहा गया है कि बाजार की वास्तविक स्थितियों को समझे बिना अधिक रिटर्न की उम्मीद कर पैसा लगाना चिंता का विषय है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया कि खुदरा निवेशकों की बढ़ी हुई भागीदारी पूंजी बाजार को स्थिरता प्रदान करती है। भाषा की खबर के मुताबिक, समीक्षा में वायदा और विकल्प (डेरिवेटिव) कारोबार में इन निवेशकों की बढ़ती रुचि पर भी गौर किया गया है।

खुदरा निवेशकों की भागीदारी में बढ़ोतरी

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ साल में भारतीय पूंजी बाजार में गतिविधियां बढ़ी हैं। लोग डीमैट खातों के जरिये बाजार में शेयरों की प्रत्यक्ष खरीद-बिक्री कर रहे हैं या फिर परोक्ष रूप से म्यूचुअल फंड के माध्यम से बाजार में निवेश कर रहे हैं। आर्थिक सर्वे के मुताबिक, इक्विटी नकदी खंड कारोबार में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में 35.9 प्रतिशत थी। दोनों डिपॉजिटरी के पास डीमैट खातों की संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 15.14 करोड़ हो गई, जो 2022-23 में 11.45 करोड़ थी।

बाजार में निवेशकों की भागीदारी देखें तो एनएसई में रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या मार्च, 2020 के मुकाबले लगभग तीन गुना बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 9.2 करोड़ हो गई है। इसका अर्थ यह है कि अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार अपनी घरेलू बचत को वित्तीय बाजारों में लगा रहे हैं।

खुदरा निवेशकों की संख्या पर गौर करने की जरूरत

आर्थिक सर्वे में सतर्क करते हुए कहा गया है कि शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ने पर गौर करने की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अति आत्मविश्वास सट्टेबाजी को बढ़ावा देती है और अधिक रिटर्न की उम्मीद भी। जो वास्तविक बाजार स्थितियों के मुताबिक नहीं हो सकती है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है। निवेशकों के बाजार में आने को जिन चीजों ने सुगम बनाया है, उनमें तकनीकी इंटीग्रेशन, वित्तीय समावेश के लिए सरकारी उपाय, डिजिटल बुनियादी ढांचे में वृद्धि, स्मार्टफोन की तेज पहुंच, कम लागत वाली ब्रोकरेज कंपनियों का उदय, वैकल्पिक स्रोतों से आय उत्पन्न करने की चाहत और रियल एस्टेट और सोने जैसे पारंपरिक परिसंपत्ति वर्गों से कम रिटर्न शामिल हैं।

निवेशकों में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान

आर्थिक समीक्षा 2024 के मुताबिक, खुदरा निवेशकों ने वित्तीय बाजारों में अपने फायदे को भुनाया है और वे अचल संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि भारतीय पूंजी बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी स्वागतयोग्य है और इससे पूंजी बाजार में स्थिरता आती है। साथ ही, इससे खुदरा निवेशकों को अपनी बचत पर अधिक रिटर्न कमाने में मदद मिली है। डेरिवेटिव बाजार में खुदरा निवेशकों की रुचि को देखते हुए समीक्षा में कहा गया कि डेरिवेटिव का उपयोग निवेशकों द्वारा सट्टा उत्पाद के रूप में किया जाता है। भारत भी संभवतः इसका अपवाद नहीं है। समीक्षा में निवेशकों में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया गया है। ताकि उन्हें डेरिवेटिव कारोबार के फायदा और नुकसान के बारे में आगाह किया जा सके।

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