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मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में मध्यम वर्ग पर टैक्स बोझ घटा, इस इनकम ग्रुप पर बढ़ा

सूत्र ने कहा कि आयकर का 76 प्रतिशत हिस्सा सालाना 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों से आता है। कुल मिलाकर इससे मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है। आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले 50 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़ी है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Nov 13, 2024 23:19 IST, Updated : Nov 13, 2024 23:19 IST
PM Narendra Modi
Photo:PTI प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान मध्यम वर्ग यानी 20 लाख रुपये सालाना से कम आय वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ घटा है। वहीं दूसरी तरफ 50 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय वाले लोगों द्वारा भुगतान किए जाने वाले करों में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है। सूत्रों ने बुधवार को यह कहा। दाखिल किये गये आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आंकड़ों के अनुसार, 50 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय दिखाने वाले व्यक्तियों की संख्या 2023-24 में बढ़कर 9.39 लाख से अधिक हो गयी जो 2013-14 में 1.85 लाख थी। साथ ही, 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों की आयकर देनदारी 3.2 गुना बढ़कर 2024 में 9.62 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जो 2014 में 2.52 लाख करोड़ रुपये थी। 

50 लाख रुपये कमाने वाले तेजी से बढ़ें

सूत्र ने कहा कि आयकर का 76 प्रतिशत हिस्सा सालाना 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों से आता है। कुल मिलाकर इससे मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है। आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले 50 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़ी है। इसका कारण ‘मोदी सरकार की कर चोरी रोकने और काले धन पर लगाम लगाने के लिए संबंधित अधिनियमों को कड़ाई से लागू करना है।’ सूत्र ने कहा कि 2014 में, दो लाख रुपये सालाना से अधिक कमाने वाले व्यक्तियों को आयकर देना पड़ता था। हालांकि, मोदी सरकार में घोषित विभिन्न छूटों और कटौतियों के कारण अब सात लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना पड़ता है। दस लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं से आयकर संग्रह का प्रतिशत घटकर 2024 में 6.22 प्रतिशत पर आ गया जो 2014 में 10.17 प्रतिशत था। 

उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम कर 

सूत्र के अनुसार, 2.5 से सात लाख रुपये के बीच कमाने वालों की आयकर देनदारी 2023-24 में औसतन 43,000 रुपये थी। यह उनकी आय का लगभग चार-पांच प्रतिशत है। यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है। उसने कहा कि आधिकारिक गणना के अनुसार, 10 साल की अवधि में मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद, 10 से 20 लाख रुपये की आय वालों के लिए कर देनदारी में लगभग 60 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ व्यक्तिगत स्तर पर दाखिल किये गये आयकर रिटर्न की संख्या 121 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 7.97 करोड़ हो गई है, जो 2013-14 में 3.60 करोड़ थी। 

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