बिहार के 50 रेलवे स्टेशनों पर 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' केंद्र खोले गए हैं। रेलवे की इस पहल से राज्य के छोटे उद्यमियों को बड़ा बाजार मिल रहा है। रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, बिहार के 50 रेलवे स्टेशनों पर पारंपरिक शिल्प एवं लघु उद्यमों के संरक्षण एवं अधिक से अधिक रोजगार सृजन के उद्देश्य से 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' केंद्र खोले गए हैं। वोकल फॉर लोकल विजन को बढ़ावा देने और स्थानीय उत्पादों के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए एक स्टेशन, एक उत्पाद की घोषणा के अनुरूप भारतीय रेल के विभिन्न रेलवे स्टेशन पर आउटलेट खोल रहा है।
स्थानीय कारीगरों-बुनकरों की हो रही अच्छी कमाई
रेलवे के मुताबिक, देश भर में 728 रेलवे स्टेशनों को एक स्टेशन, एक उत्पाद आउटलेट से कवर किया गया है। पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने दावा किया कि 'वन स्टेशन वन प्रोडक्ट' योजना स्थानीय कारीगरों, कुम्हारों, बुनकरों, जन-जातियों के बेहतर जीविकोपार्जन एवं कल्याण सहित आजीविका और कौशल विकास के अवसर प्रदान करने तथा स्थानीय व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला में मदद करने में सफल रही है। इससे उनकी अच्छी कमाई हो रही है। साथ ही इससे स्थानीय हस्तशिल्प व छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिला है।
इन उत्पादों की खरीदारी बिहार स्टेशन से करें
बिहार के रेलवे स्टेशनों पर आप स्थानीय कारीगरों द्वारा हस्तनिर्मित भगवान बुद्ध की मूर्तियां और लकड़ी की बनी कलाकृतियां, जरी जरदोजी के परिधान व अन्य वस्तुएं, मधुबनी पेंटिंग, हस्तनिर्मित सजावटी सामान, हथकरघा उत्पाद, काला चावल जैसे स्थानीय कृषि उत्पाद, मिठाइयों, अचार जैसे स्थानीय खाद्य उत्पादों को खरीद सकते हैं।
बिहार के लोगों को मिल रहा रोजगार
रेलवे स्टेशन पर खोले गए आउटलेट से स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार का एक नया अवसर पैदा हुआ है। साथ ही उनकी अच्छी कमाई भी हो रही है। गया निवासी एक स्टॉल संचालक ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि स्वरोजगार से जुड़े छोटे कामगारों को अपने पैर पर खड़ा होने के लिए गया जैसे अति व्यस्ततम रेलवे स्टेशन पर अपने लोकल उत्पाद को बेचने एवं प्रचार-प्रसार का बड़ा अवसर मिला है। इससे उनकी अच्छी आय हो रही है।