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लेटलतीफी से 411 इंफ्रा Project की लागत 4.31 लाख करोड़ बढ़ी, इतने से अधिक के हैं सारे प्रोजेक्‍ट्स

देरी से चल रही 837 परियोजनाओं में से 202 में एक महीने से लेकर एक साल तक की विलंब बै जबकि 188 में 13-24 महीने की देरी है। वहीं 324 परियोजनाएं पांच साल तक की देरी से चल रही हैं जबकि 123 परियोजनाओं में पांच साल से भी अधिक विलंब हो चुका है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 19, 2023 14:50 IST
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्‍ट्स- India TV Paisa
Photo:FILE इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्‍ट्स

इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी और 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली 411 प्रोजेक्ट की कुल लागत में इस साल अक्टूबर तक 4.31 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। एक आधिकारिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 1,788 प्रोजेक्ट में से 411 प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने की सूचना है जबकि 837 परियोजनाओं के पूरा होने में देरी हुई है। जानकारों का कहना है कि लागत बढ़ने की मुख्य वजह लेटलतीफी है। मंत्रालय 150 करोड़ रुपये और उससे अधिक निवेश वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।

देरी से प्रोजेक्ट की लागत इतनी बढ़ी

मंत्रालय ने अक्टूबर, 2023 की अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि सभी ढांचागत परियोजनाओं की सम्मिलित मूल लागत 24,78,446.60 करोड़ रुपये थी लेकिन अब उनके पूरा होने पर आने वाली कुल लागत 29,09,526.63 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। यह लागत में 4,31,080.03 करोड़ रुपये की वृद्धि को दर्शाता है जो कि मूल लागत का 17.39 प्रतिशत अधिक है।" इस रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर महीने तक समीक्षाधीन परियोजनाओं पर 15,27,102.91 करोड़ रुपये का खर्च आया, जो परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 52.49 प्रतिशत है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि परियोजनाओं में देरी की गणना समापन की नवीनतम सूची के आधार पर की जाती है, तो विलंबित परियोजनाओं की संख्या घटकर 628 हो जाती है।

एक माह से 5 साल तक की देरी 

देरी से चल रही 837 परियोजनाओं में से 202 में एक महीने से लेकर एक साल तक की विलंब बै जबकि 188 में 13-24 महीने की देरी है। वहीं 324 परियोजनाएं पांच साल तक की देरी से चल रही हैं जबकि 123 परियोजनाओं में पांच साल से भी अधिक विलंब हो चुका है। परियोजनाओं के पूरा होने में हो रही देरी के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों ने भूमि अधिग्रहण में देरी, वन और पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने में देरी और बुनियादी ढांचे के समर्थन और लिंकेज की कमी को जिम्मेदार बताया है। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन ने भी परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी की है। 

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