भारत के दवा नियामक द्वारा किए गए गुणवत्ता परीक्षणों में 50 से ज्यादा दवाइयां विफल हो गई हैं। इन दवाइयों की फेहरिस्त में पारासिटामोल सहित कई टैबलेट फेल पाए गए हैं। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, विटामिन, कैल्शियम डी3 सप्लीमेंट, जीवाणु संक्रमण और एसिड रिफ्लक्स से जुड़ी ये दवाइयां तय स्टैंडर्ड के मुताबिक नहीं हैं। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अगस्त के लिए‘मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं अलर्ट जारी किया, जिसमें बताया गया कि कुछ सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाएं एल्केम लैबोरेटरीज, हेटेरो ड्रग्स, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसी प्रसिद्ध दवा कंपनियों द्वारा बनाई गई थीं।
पैरासिटामोल और टेल्मा टैबलेट भी फेल
खबर के मुताबिक, मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं के रूप में चिह्नित दवाओं में पैरासिटामोल टैबलेट (500 mg), मधुमेह विरोधी दवा ग्लिमेपिराइड, उच्च रक्तचाप की दवा टेल्मा एच (टेल्मिसर्टन 40 mg), एसिड रिफ्लक्स की दवा पैन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट शेल्कल सी और डी3 शामिल हैं। इस सूची में HAL द्वारा निर्मित व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक मेट्रोनिडाजोल और टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स द्वारा वितरित और उत्तराखंड में प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर द्वारा उत्पादित शेल्कल भी शामिल हैं। रिपोर्ट में
इन कंपनियों की दवाइयां भी बेकार
कोलकाता की एक सरकारी लैब ने एल्केम हेल्थ साइंस के एंटीबायोटिक्स, क्लैवम 625 और पैन डी को भी घटिया पाया। लैब ने पाया कि हैदराबाद स्थित हेटेरो का सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन, जिसे बच्चों में गंभीर जीवाणु संक्रमण के लिए निर्धारित किया जाता है, गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करता। कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की पैरासिटामोल गोलियों पर भी चिंता जताई गई। साथ ही सन फार्मा लैबोरेटरीज लिमिटेड की उर्सोकोल 300, जिसे कुछ पित्त पथरी को घोलने के लिए डिजाइन किया गया था, को नकली के रूप में चिह्नित किया गया। हरिद्वार में लाइफ मैक्स कैंसर लैब द्वारा निर्मित टेल्मिसर्टन के कई बैच भी क्वालिटी टेस्ट में विफल रहे।
कंपनियों ने कहा-चिह्नित बैचों का उत्पादन हमने नहीं किया
दवा बनाने वाली कंपनियों की प्रतिक्रियाओं से संकेत मिलता है कि वास्तविक निर्माताओं (लेबल दावे के अनुसार) ने चिह्नित बैचों का उत्पादन नहीं किया, जिससे पता चलता है कि ये नकली दवाएं हो सकती हैं। हालांकि, आखिरी निर्धारण चल रही जांच के अधीन है। सन फार्मा और ग्लेनमार्क जैसी कंपनियों ने भी इसी तरह के जवाब दिए, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने ऐसी दवाएं नहीं बनाई हैं। सन फार्मा की तीन दवाएं- इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए पल्मोसिल, एसिड रिफ्लक्स के लिए पैंटोसिड और उर्सोकोल 300- उन दवाओं में से थीं जो परीक्षण में विफल रहीं। ग्लेनमार्क की उच्च रक्तचाप की दवा टेल्मा एच (टेल्मिसर्टन) और गठिया के इलाज के लिए मैकलियोड्स फार्मा की डेफकोर्ट 6 भी गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं। तीनों कंपनियों ने दोहराया कि उन्होंने ये दवाएँ नहीं बनाई हैं।