Highlights
- आठ गुना तेजी से चिकित्सा आपूर्ति में मिलेगी मदद
- और भी राज्य कर रहे हैं तैयारी
- ड्रोन टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट बन रहा हे देश
Drone Facilities: भारत ड्रोन टेक्नोलॉजी (Drone Technology) में अग्रणी बनता जा रहा है। 27 मई को दिल्ली में पीएम मोदी (PM Modi) ने ड्रोन महोत्सव की शुरुआत भी की थी तब उन्होनें ड्रोन टेक्नोलॉजी को भारत का भविष्य बताया था। अब बेंगलुरु (Bangalore) की एक कंपनी ड्रोन की मदद से इलाज उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है।
आठ गुना तेजी से चिकित्सा आपूर्ति में मिलेगी मदद
बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप ने अरुणाचल प्रदेश में आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए ड्रोन का उपयोग करने के लिए सोमवार को एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। यह परियोजना स्टार्टअप रेडविंग लैब्स द्वारा अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले के एक शहर सेप्पा में होगी, जो सड़क-आधारित लॉजिस्टिक्स की तुलना में आठ गुना तेजी से चिकित्सा आपूर्ति देने में मदद करेगी।
रेडविंग लैब्स 'मेड इन इंडिया' हाइब्रिड वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल) ड्रोन प्रदान करेगी और परियोजना के लिए एंड-टू-एंड ऑपरेशन चलाएगी। राज्य में पायलट एरियल हेल्थकेयर डिलीवरी के लिए सीमित प्रायोगिक आधार पर हेल्थकेयर ड्रोन नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। नेटवर्क स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में निदान और आपातकालीन उपचार को सक्षम करेगा।
रेडविंग लैब्स के सीईओ और सह-संस्थापक अंशुल शर्मा ने एक बयान में कहा, "हमें उम्मीद है कि यह परीक्षण बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में ड्रोन के लिए लागत और आपूर्ति श्रृंखला व्यवहार पर मात्रात्मक डेटा अंक देगा।"
और भी राज्य कर रहे हैं तैयारी
भारत ने 2021 में स्वास्थ्य सेवा में ड्रोन-आधारित डिलीवरी के परीक्षण और पायलट शुरू किए। तेलंगाना, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा और उत्तराखंड सहित कई राज्यों ने पायलट और प्रायोगिक उड़ानें की हैं।
ड्रोन टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट बन रहा हे देश
आज दुनिया में ड्रोन टेक्नोलॉजी का एक्सपर्ट बनने की ओर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। 8 साल पहले यही वो समय था, जब भारत में हमने सुशासन के नए मंत्रों को लागू करने की कोशिश की थी।इज आफ डुइंग बिजनेस को अपना मंत्र बनाया। हमने टेक्नोलॉजी को सभी के लिए सुलभ करने की दिशा में कदम उठाए हैं, और आगे भी उठाने वाले हैं।
'टेक्नोलॉजी का डर दिखाने वाले भी कम नहीं रहे'
हमारे यहां कुछ लोग टेक्नोलॉजी का डर दिखाकर उसे नकारने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलाव के साथ खुद को बदलने से ही तरक्की संभव होती है। पहले टेक्नोलॉजी को एंटी पुअर साबित करने की कोशिश की गई। उदासीन का वातावरण रहा, व्यवस्था का स्वभाव नहीं बन पाया था। इसका नुकसान गरीब और मिडिल क्लास को हुआ है। जो आशा से भरे लोग थे, उन्हें निराशा में जीना पड़ा। आने वाले समय में हमें और भी कई तरह की टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए तैयार रहना होगा।